हम यहां ज्ञानगंज मठ की बात कर रहे हैं। हिमालय में स्थित यह एक छोटी सी जगह है जिसे शांग्री-ला, शंभाला और सिद्धआश्रम के नाम से भी जाना जाता है। ज्ञानगंज मठ में केवल सिद्ध महात्माओं को स्थान मिलता है। इस जगह के बारे में ऐसा कहा जाता है कि यहां रहने वाले हर किसी का भाग्य पहले से ही निश्चित होता है और यहां रहने वाला हर कोई अमर है। यहां किसी की मृत्यु नहीं होती है।
तिब्बत में लोगों के बीच यह स्थान काफी मशहूर है। इस मठ के बारे में ऐसा कहा जाता है कि यहां ऋषि-मुनि तपस्या में लीन रहते हैं। आपको बता दें कि बाल्मीकि के रामायण और महाभारत में भी ग्यानगंज का जिक्र किया गया है। इन ग्रंथों में इसे सिद्धाश्रम कहा गया है।
यदि हम बौद्ध धर्म की बात करें तो बुद्धिस्ट ऐसा मानते हैं कि भगवान बुद्ध ने अपने आखिरी दिनों में कालचक्र के बारे में ज्ञान प्राप्त कर लिया था। उन्होंने कई लोगों को इसके बारे में बताया भी था, इनमें से एक थे राजा सुचंद्र। राजा जब इस ज्ञान को प्राप्त कर वापस अपने राज्य में आए तभी से तिब्बत में उस स्थान को शंभाला कहा जाने लगा। शंभाला का मतलब है ‘खुशियों का स्रोत’।
आध्यात्मिक शक्ति के इस केंद्र में बुद्धिस्ट्स जाने का प्रयास करते हैं, लेकिन इसका रास्ता किसी को समझ में नहीं आता है। आपको जानकर हैरानी होगी कि आजकल के मैपिंग सिस्टम का मदद लेकर भी इसे ढूंढ़ा नहीं जा सकता है। यहां तक कि सैटेलाइट में भी इसे नहीं देखा जा सकता है।
ज्ञानगंज में योगियों के अमर रहने की बात पर विज्ञान तर्क देते हुए यह कहता है कि एक निश्चित आयु के बाद जीव की मौत हो जाती है। अगर बॉडी में लगातार नए सेल्स बनते रहें और किसी तरह से ऑर्गन्स को लंबे समय तक स्वस्थ रख सके तो इंसान भी एक हजार साल से ज्यादा जी सकता है।
न केवल साइंस बल्कि आयुर्वेद में भी कुछ ऐसा ही कहा गया है। ज्ञानगंज मठ में रहने वाले ऋषि, योग विद्या में पारंगत होते हैं और इसी के सहारे वे अपनी भावनाओं को कंट्रोल कर सकते हैं। इंसान ऐसा नहीं कर सकता है, इंसान का किसी भी चीज पर कोई कंट्रोल नहीं है और न ही मौत पर उसका कोई वश चलता है।
लोगों का ऐसा मानना है कि यह जगह किसी खास धर्म से संबंधित नहीं है, यहां तक वही पहुंच पाएगा जो किसी तरह से खुद को यहां के लायक बना लेगा।