मिली जानकारी के अनुसार लड़की का कन्फ्यूजन इतना बढ़ा कि बाकायदा पंचायत बैठी। फिर पर्ची डालकर फैसला किया गया। पांच दिन पहले लड़की इन चार लड़कों के साथ घर से भाग गई थी। लड़कों ने लड़की को दो दिन अपनी रिश्तेदारी में छिपाए रखा लेकिन उसके बाद पकड़े गए।
लड़की के परिवारवाले लड़कों के खिलाफ मुकदमे की तैयारी करने लगे, इसी बीच मामला पंचायत में चला गया। पंचायत ने शादी करने का प्रस्ताव रख दिया। जब लड़की से पूछा गया तो वो यह तय नहीं कर पा रही थी कि आखिर वह किसे अपना पति बनाए।
मामले में पेंच तो तब फंस गया जब लड़की को भगाने वाले कोई भी युवक उससे शादी के लिए तैयार नहीं हो रहा था। मामले का कोई हल न निकलने पर पंचों ने तीन दिन तक बंद कमरे में इस बात पर चर्चा की कि आखिर अब क्या किया जा सकता है। काफी सोच-विचार के बाद पंचायत ने तय किया कि अब लड़की से शादी कौन करेगा इसका फैसला पर्ची डालकर ही किया जा सकता है।
इसके बाद चारों युवकों के नाम की पर्ची डाली गई और जो नाम निकला उसी पर समझौता हो गया। पंचायत के दौरान चारों युवकों के नाम पर्ची पर लिखने के बाद उसे कटोरी में रख दिया गया। इस दौरान पंचों ने एक छोटे बच्चे से एक पर्ची को उठाने को कहा। बच्चे के पर्ची उठाते ही तीन दिन से चल रहा विवाद सुलझ गया और युवती की शादी उसी युवक के साथ तय हो गई जिसका नाम पर्ची में निकला था।