50 साल में पहली बार दिखा रेनबो सांप, 4 फुट है इसकी लंबाई गौतम बुद्ध की मृत्यु 483 ईस्वी पूर्व में हुई थी। कहते हैं कि भगवान बुद्ध के देह त्यागने के बाद उनका अंतिम संस्कार उत्तरप्रदेश के कुशीनगर (Kushi Nagar) में हुआ था, लेकिन उनके एक अनुयायी (pupil) ने उनकी चिता पर उनकी शव से उनके दांत निकाल लिए थे और इसे राजा ब्रह्मदत्त के हवाले कर दिए थे। भगवान बुद्ध के वो दांत राजा ब्रह्मदत्त के पास काफी समय तक रहा। मगर भगवान बुद्ध के दांत को लेकर कई लड़ाईयां भी लड़ी गईं। जिसके चलते ये एक राजा से दूसरे राजा के पास पहुंच गया। अंत में भगवान बुद्ध के ही एक अनुयायी ने चोरी-छुपे उस दांत को चुराकर श्रीलंका पहुंचा दिया। उस जमाने में कैंडी श्रीलंका की राजधानी हुआ करती थी। तब यहां के एक राजा ने अपने महल के पास ही भगवान बुद्ध के दांत के लिए एक विशाल मंदिर बनवाया और तब से वह दांत उसी भव्य मंदिर में रखा हुआ है।
हालांकि 1603 में पुर्तगालियों ने श्रीलंका पर हमला कर भगवान बुद्ध के उस दांत को दुम्बारा ले गए थे, लेकिन बाद में फिर उसे कैंडी ले आया गया। तब से यह दांत एक छोटी सी डिब्बी में रखा हुआ है। भगवान के दंत के दर्शन के लिए हजारों लोग मंदिरि में आते हैं। साल 2017 में जब प्रधानमंत्री मोदी श्रीलंका गए थे, तो उन्होंने भी इस दंत के दर्शन किए थे। बताया जाता है कि मंदिर में भगवान के दंत को रोजाना मानुमुरा मंगलया फूल से बने सुगंधित पानी से इसे धोया जाता है। बाद में इस जल को प्रसाद के तौर पर लोगों में बांटा जाता है।