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वैसे तो भीम ( Bhima ) बचपन से ही काफी शक्तिशाली थे। वो दौड़ने, निशाना लगाने, कुश्ती आदि खेलों में कौरवों को मात दे देते थे। वहीं एक बार दुर्योधन ने खेलने के लिए गंगा तट पर उदकक्रीडन नाम का शिविर लगाया। जहां पर खेलने के लिए पाचों पांडवों को भी बुलाया गया। खेल के दौरान ही एक दिन मौका पाकर दुर्योधन ने भीम के खाने में जहर मिला दिया और जब भीम खाना खाकर बेहोश हो गए, तो दुर्योधन ने दु:शासन के साथ मिलकर उन्हें गंगा में फेंक दिया। लेकिन भीम पानी के रास्ते मूर्छित अवस्था में ही नागलोक पहुंच गए। यहां सांपों ने खूब डंसा, जिससे उनके शरीर से विष बाहर आ गया। वहीं जब भीम को होश आया तो आसपास सांपों को देखकर उन्हें वो मारने लगे।
ऐसे में सभी सांप डर गए और नागराज वासुकि के पास गए और पूरी बात उन्हें बताई। यहां बताते चले कि आर्यक नाग भीम के नाना के नाना थे। इसके बाद वो भीम के पास खुद गए और उन्हें नागलोक ले गए। वहां उन्होंने नागराज वासुकि से भीम को उन कुण्डों का रस पिलाने की आज्ञा मांगी, जिसमें हजारों हाथियों का बल था। बाद में नागराज वासुकि ने इसकी आज्ञा दे दी और तब भीम 8 कुण्डों का रस पीकर एक दिव्य शय्या पर सो गए। इसके बाद 8 दिनों तक भीम नागलोक में ही सोते रहे और जब वो जागे तो उनमें 10 हजार हाथियों का बल आ गया था। वहीं जब भीम हस्तिनापुर पहुंचे तो उन्होंने माता कुंती और अपने भाईयों को शुरू से सारी बातें बताई, जिस पर युधिष्ठिर ने भीम को किसी को ये भी बात बताने से मना कर दिया।