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यहां रावण को मानते हैं गुरु: दशानन के लिए रखते हैं उपवास, दशहरे पर करते हैं विशेष पूजा

शारदीय नवरात्रि अंतिम पड़ाव में है और इसके अगले दिन दशहरा यानी विजय दशमी का पर्व मनाया जाता है। दशहरा को बुराई पर अच्छाई का सबसे बड़ा प्रतीक माना जाता है। हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, दशहरे के दिन ही भगवान श्रीराम ने रावण का वध कर विजय प्राप्त की थी। माना जाता है दशहरे पर माता दुर्गा ने भी महिषासुर राक्षस का वध किया था।

Oct 25, 2020 / 12:55 pm

Shaitan Prajapat

worship rawna on dussehra

शारदीय नवरात्रि अंतिम पड़ाव में है और इसके अगले दिन दशहरा यानी विजय दशमी का पर्व मनाया जाता है। दशहरा को बुराई पर अच्छाई का सबसे बड़ा प्रतीक माना जाता है। हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, दशहरे के दिन ही भगवान श्रीराम ने रावण का वध कर विजय प्राप्त की थी। माना जाता है दशहरे पर माता दुर्गा ने भी महिषासुर राक्षस का वध किया था। इस दिन दस दिगपाल की पूजा की जाती है। देशभर में रावण को बुराई का प्रतीक मानकर उसका पुतला जलाया जाता है। लेकिन राजस्थान के चित्तौड़गढ़ में ऐसा नहीं होता है। यहां के कुछ लोगों के लिए रावण अच्छाई का प्रतीक है। वे रावण की भक्ति, ज्ञान और चारित्रिक अच्छाई उनके लिए प्रेरणा का स्त्रोत है।

घर ओर प्रतिष्ठनों पर लगाते हैं चित्र
चित्तौड़गढ़ में दशानन के भक्त अपने घर और प्रतिष्ठानों पर भी रावण के चित्र लगाए हैं। हर साल दशहरे पर रावण का विशेष पूजा अर्चना करते है। यहां के लोग रावण को सतयुग से ही बुराई का प्रतीक माने आए है। दशहरे पर देश एवं विदेश में रावण के पुतलों का दहन किया जाता है और साथ ही बुराई को छोड़ने का प्रण लिया जाता है। सतयुग से ही रावण को बुराइयों के लिए जाना जाता है। लेकिन प्रकांड पंडित और शिव भक्त के रूप में भी रावण को जाना जाता है।

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रावण की देख आश्चर्यचकित
यहां कुछ लोग हैं जो बहुत लंबे समय से रावण की पूजा करते आए है। इनके दिन की शुरुआत की रावण पूजा से होती है। घर के बाद प्रतिष्ठान पर भी रावण की पूजा करते हैं। शहर निवासी वस्त्र व्यवसायी हीरालाल वर्ष 2001 से ही रावण की पूजा कर रहे हैं। इनके बाद शहर में अन्य लोग भी रावण की पूजा करने लगे। निवासी हरीश मेनारिया का कहना है कि वे भी रावण को पूजते आए है, जो भी लोग इनके यहां आते हैं वह रावण की आराधना करते देख आश्चर्यचकित हो जाते हैं। इनकी नजर में रावण का चरित्र उत्तम था और वह सभी के लिए अनुकरणीय है।

रावण के लिए रखते हैं उपवास
स्थानीय लोगों का कहना है कि रावण भक्तों के लिए दशहरा किसी त्योहार से कम नहीं है। इस दिन भक्त रावण के लिए उपवास रखते हैं। रावण को जलाना इन्हें कतई अच्छा नहीं लगता। रावण पूजन और नमस्कार के स्थान पर सभी से जय लंकेश कहने के कारण इनकी पहचान भी अब लंकेश के रूप में है।

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