सोथबी के एशियन आर्ट्स विशेषज्ञ ओलिवियर वालमीर ने कहा, “विक्रेता रेलगाड़ी, और फिर मेट्रो की सरवारी कर और उसके बाद पैदल चलकर अखबार से ढके जूते के डिब्बे में फूलदान रखकर मेरे कार्यालय पहुंची थी।” उन्होंने कहा, “जब उसने डिब्बे को मेरी टेबल पर रखा और हमने उसे खोला तो हम सभी उस पीस की सुंदरता देख चकित हो गए।” ओलिवियर ने कहा, “यह कला का बड़ा नमूना है।” 30 सेंटीमीटर बल्ब के आकार का फूलदान हरे, नीले, पीले और बैंगनी रंगों से रंगा है। इसे किंग राजवंश के सम्राट के लिए असाधारण रूप से संरक्षित चीनी मिट्टी से बनी वस्तु के रूप में वर्णित किया गया है।
चीनी मिटटी कि वस्तुएं बनाने कि परंपरा चीन से आती है और यह बहुत पुरानी भी है। लेकिन फिर भी एशियाई पॉर्सेलेन और माईसन पॉर्सेलेन में बहुत फर्क है। एशियाई पॉर्सेलेन अपनी पुरानी परंपरा पर ही चल रहा है, मतलब सौ साल पुराने डिसाइन की नक़ल और हुबहू पुराने डीसाइन की एक नई कॉपी बनाना। यूरोप का पॉर्सेलेन कई युगों, संस्कृतियों और शैली से प्रभावित है। लाखों रुपए वाली ये चीनी मिट्टी की वस्तुएं लोगों के दिलों में बस जाती हैं। जो इसे खरीद कर अपने घर नहीं ले जा सकते वे इसे अपने दिल और कैमरे में समेट कर अपने साथ ले जाते हैं। गौरतलब है कि, फूलदान के मालिक ने कहा कि उनलोगों को यह बहुत अधिक पसंद नहीं था और न ही बच्चों को। सोथबी प्रवक्ता ने बताया कि यह नीलामी 20 मिनट तक चली। सोथबी की ओर से खरीदार के नाम और पता का खुलासा नहीं किया गया है।