सॉफ्ट ड्रिंक,आइसक्रीम,कप केक ,जेली,स्कैव्श,दही इत्यादि चीजों का सेवन हम लगभग रोज ही करते हैं।इन सभी खाद्य सामग्री और पेय पदार्थो में रंगों से सजाने के लिए फूड कलर का इस्तेमाल किया जाता है। इन फूड कलर्स में कार्माइन नामक चीज का इस्तेमाल किया जाता है जो कि कीड़ों से बनाई जाती है।
जी, हां इन कीड़ों को पीसकर इनका इस्तेमाल किया जाता है।न केवल खाने-पीने की चीजों में इनका उपयोग होता है बल्कि कॉस्मेटिक्स में भी कार्माइन का प्रयोग किया जाता है। हालांकि ऐसा करने के पीछे की वजह ये हैं कि कार्माइन हमारे स्वास्थ्य के लिए काफी अच्छा माना जाता है और गर्मी एंव धूप का इन पर कोई असर भी नहीं होता है।
ऐसा कहा जा रहा है कि पांच सौ साल से अधिक समय से कार्माइन का उपयोग दक्षिण अमरीका के एक समूह द्वारा किया जाता रहा है।जहां एक तरफ आर्टिफिशियल कलर्स स्वास्थ्य को काफी नुकसान पहुंचाते हैं वहीं कार्माइन शरीर के लिए लाभदायक है। ऐमी बैटलर ग्रीनफिल्ड कार्माइन को लेकर काफी लंबे समय से रिसर्च कर रहे हैं। उनका कहना है कि कार्माइन से किसी को भी कोई असुविधा नहीं होती है। बहुत ही कम लोग ऐसे होते हैं जिन्हें इससे परेशानी होती है।
बता दें 95 प्रतिशत कार्माइन की पैदावार अकेले पेरू में ही की जाती है। इनमें नर की अपेक्षा मादा कीड़ों की ही खेती सबसे अधिक मात्रा में की जाती है क्योंकि मादा कीड़े में पंख नहीं होते हैं और जिस वजह से ये उड़ नहीं पाती है। दिन-प्रतिदिन कार्माइन की मांग में वृद्धि होती जा रही है फलस्वरूप इसकी कीमत में भी बढ़ोत्तरी हो रही है। यानि कि जाने-अनजाने में ही सही लेकिन हम सभी ने कीड़े का सेवन निश्चित तौर पर किया है।