दक्षिणी रूस के ऑरेनबर्ग शहर में स्थित इस जेल का नाम ब्लैक डॉल्फिन है क्योंकि यहां एक डॉल्फिन की मूर्ति है जिसे जेल में रह रहें कैदियों द्वारा बनाया गया है। यहां अपराधियों पर इस कदर सख्त निगरानी रखी जाती है कि आज तक यहां से कोई कैदी फरार नहीं हुआ है। इस खतरनाक जेल में खूंखार कैदियों को ही रखा जाता है। यहां कुल 700 कैदी हैं जिन्होंने 3500 हत्याएं की है।
50 स्क्वायर फुट के सेल में दो कैदी रहते हैं जिन्हें सुबह से रात तक बैठने की इजाजत नहीं है। जब तक रात में सोने का वक्त नहीं आता तब तक ये खड़े होकर अपना दिन गुजारते हैं। यानि कि सीधे शब्दों में यहां कैदियों को आराम करने की इजाजत नहीं है।
रूस और कजाकिस्तान के बार्डर पर स्थित इस जेल में कैमरे के जरिए 24 घंटे कैदियों पर नजर रखी जाती है। हर सेल का रास्ता तीन स्टील के दरवाजों से होकर जाता है। जेल में कैदियों को बाहर घूमने की इजाजत नहीं है।
खाना भी सेल के अंदर ही दिया जाता है। अगर कभी सेल के बाहर जाना भी पड़ा तो आंखों पर पट्टी, हाथों में हथकड़ी और कमर से झुकाकर निकलना पड़ता है। सीधे होकर चलने की इजाजत उन्हें नहीं है।
ऐसे में कैदियों को इस बात का अंदाजा नहीं लग पाता कि जेल का लेआउट कैसा है या कहां कौन सी चीज है। आजीवन कारावास प्राप्त मुजरिमों को ही केवल इस जेल में रखा जाता है जिनके लिए यह किसी नरक से कम नहीं है।