अजब गजब

आत्माओं के खौफ के चलते इस स्टेशन पर 42 तक नहीं पहुंची रेल सेवा, दशकों बाद इस मंत्री की वजह हुआ यह काम…

पं. बंगाल की राजधानी कोलकाता से लगभग 260 किलोमीटर की दूरी पर स्थित बेगनकोडार स्टेशन का खौफ आज भी लोगों में देखा जा सकता है।

Nov 17, 2018 / 11:31 am

Arijita Sen

आत्माओं के खौफ के चलते इस स्टेशन पर 42 तक नहीं पहुंची रेल सेवा, दशकों बाद इस मंत्री की वजह हुआ यह काम…

नई दिल्ली। भूत-प्रेत, आत्माएं, बुरी शक्तियों जैसी चीजों के बारे में अकसर सुनने को मिल जाता है, लेकिन इन बातों में कितनी सच्चाई है इस बारे में बता पाना वो भी किसी सबूत के साथ यह वाकई में बेहद मुश्किल काम है। अब अगर किसी जगह के भूतिया होने की खबरें सालों साल बरकरार रहें और तो और सिर्फ इसी एक डर के चलते वहां रेलवे की सेवा भी 42 साल तक बंद रहें तो मामला आम से खास खुद ब खुद बन जाता है।

 

हम यहां बात कर रहे हैं देश के पश्चिम बंगाल राज्य में स्थित एक रेलवे स्टेशन के बारे में, जिसका नाम रेलवे के रिकॉर्ड में हॉन्टेड स्टेशन के नाम से दर्ज हो गया है। पं. बंगाल की राजधानी कोलकाता से लगभग 260 किलोमीटर की दूरी पर स्थित बेगनकोडार स्टेशन का खौफ आज भी लोगों में देखा जा सकता है।

 

बेगुनकोडोर स्टेशन

साल 1962 में इसे बनाया गया था। इसके बाद 1967 में यहां के स्टेशन मास्टर ने किसी महिला को सफेद साड़ी पहने देखा था। आश्चर्य की बात तो यह थी कि इस घटना के कुछ वक्त बाद किसी वजह से स्टेशन मास्टर की मौत हो गई थी। इस वाक्ये ने सबको चौंका दिया और अफवाहें फैलने लगी और लोग तरह-तरह की कहानियां बनाने लगे।

 

बेगुनकोडोर स्टेशन

ये अफवाहें इतनी तेजी के साथ फैली कि बात रेलवे कर्मचारियों तक पहुंच गई। किसी ने यहां काम करने से मना कर दिया तो कोई यहां पोस्टिंग कराने से डरने लगा। अब बिना स्टेशन मास्टर और सिग्नल मैन के स्टेशन चालू रखना रेलवे के लिए संभव नहीं था, मजबूरन इस स्टेशन को बंद करना पड़ा। करीब चार दशकों तक स्थिति वैसी की वैसी ही रही। लोग इसे अवॉयड करने लगे। चारों ओर सन्नाटा पसरा रहा।

 

बेगुनकोडोर स्टेशन

साल 2009 में लगभग 42 साल बाद ममता बनर्जी के रेल मंत्री रहते इस स्टेशन को दोबारा खोला गया। सितंबर 2009 में यहां सबसे पहले रांची-हटिया एक्सप्रेस का हाल्ट तय हुआ, जिससे इलाके में लोगों के मन से डर कुछ हद तक कम हुआ।

बेगुनकोडोर स्टेशन

धीरे-धीरे वक्त बीतने के साथ यहां और भी ट्रेनें रूकने लगी बावजूद इसके आज भी लोग अंधेरे में इस जगह को अवॉयड करने का भरसक प्रयास करते हैं। जहां तक हो सकें लोग शाम के पांच बजे के बाद बेगनकोडार स्टेशन में जाने या ट्रेन से उतरने से कतराते हैं।

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