अध्ययन के बारे में बताते हुए वहां की पोषण विभाग की सहायक प्रोफेसर लता रामलिंगम का कहना है कि “ये अध्ययन इस बात को दर्शाता है कि माता-पिता किस तरह सिर्फ जीन के अलावा भी बच्चों के स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं।” उन्होंने यह भी कहा कि “आसानी से मिलने वाला और सुरक्षित मछली का तेल आने वाली पीढ़ी को स्वस्थ बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण हथियार बन सकता है।”
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार 5 से 19 साल के बच्चों में मोटापा 1990 के 3 करोड़ 10 लाख से बढ़कर 2022 में 16 करोड़ हो गया है। मोटापा आगे चलकर मधुमेह, उच्च रक्तचाप और उच्च कोलेस्ट्रॉल जैसी बीमारियों का कारण बन सकता है। इतना ही नहीं इससे बच्चों का आत्मसम्मान भी कम हो सकता है और डिप्रेशन भी हो सकता है।
अध्ययन में यह भी पाया गया कि जिन चूहों के पिता को मछली का तेल (Fish Oil) दिया गया और उन्हें कम वसा वाला हेल्दी खाना खिलाया गया, उनके बच्चों का वजन 7 और 21 दिन की उम्र में कम था, जिनके पिता को मछली का तेल नहीं दिया गया था।
अध्ययन के नतीजे जून 29 से जुलाई 2 तक शिकागो में आयोजित होने वाली अमेरिकन सोसायटी फॉर न्यूट्रीशन की सालाना बैठक NUTRITION 2024 में पेश किए जाएंगे।