जानें मौजूदा अस्पताल से कैसे बेहतर है नया अस्पताल
मौजूदा अस्पताल में नए अस्पताल भवन में
300 पलंग स्वीकृत 350 स्वीकृत, 478 का डिजाइन
ट्रामा सेंटर नहीं,ट्रामा सेंटर तैयार
मेटरनल आइसीयू नहीं , मेटरनल आइसीयू तैयार
मेडिकल आइसीयू नहीं, मेडिकल आइसीयू तैयार
सर्जीकल आइसीयू नहीं, सर्जीकल आइसीयू तैयार
पीडियाट्रिक्स आइसीयू नहीं, पीडियाट्रिक्स आइसीयू तैयार
सामान्य एसएनसीयू है, आधुनिक एसएनसीयू तैयार
लिफ्ट की जरूरत नहीं, भवन में 8 लिफ्ट मौजूद
नाममात्र की मच्र्यूरी, व्यवस्थित मच्र्यूरी तैयार
लांड्री नहीं है, मैकेनाइज्ड लांड्री है
मेडिटेशन सेंटर नहीं, मेडिटेशन सेंटर है
ऑक्सीजन सिलेंडर व्यवस्था, सेंट्रलाइज्ड ऑक्सीजन व्यवस्था
उद्यान नहीं, हर्बल गार्डन सहित चार गार्डन
कमजोर फायर फाइटर , स्ट्रांग फायर फायटिंग सिस्टम
कम ओपीडी रूम, ज्यादा ओपीडी रूम
कम डॉक्टर बैठ पाते हैं , ज्यादा डॉक्टर बैठ पाएंगे
हेल्प डेस्क नही, हेल्प डेस्क रहेगी
मौजूदा अस्पताल में नए अस्पताल भवन में
300 पलंग स्वीकृत 350 स्वीकृत, 478 का डिजाइन
ट्रामा सेंटर नहीं,ट्रामा सेंटर तैयार
मेटरनल आइसीयू नहीं , मेटरनल आइसीयू तैयार
मेडिकल आइसीयू नहीं, मेडिकल आइसीयू तैयार
सर्जीकल आइसीयू नहीं, सर्जीकल आइसीयू तैयार
पीडियाट्रिक्स आइसीयू नहीं, पीडियाट्रिक्स आइसीयू तैयार
सामान्य एसएनसीयू है, आधुनिक एसएनसीयू तैयार
लिफ्ट की जरूरत नहीं, भवन में 8 लिफ्ट मौजूद
नाममात्र की मच्र्यूरी, व्यवस्थित मच्र्यूरी तैयार
लांड्री नहीं है, मैकेनाइज्ड लांड्री है
मेडिटेशन सेंटर नहीं, मेडिटेशन सेंटर है
ऑक्सीजन सिलेंडर व्यवस्था, सेंट्रलाइज्ड ऑक्सीजन व्यवस्था
उद्यान नहीं, हर्बल गार्डन सहित चार गार्डन
कमजोर फायर फाइटर , स्ट्रांग फायर फायटिंग सिस्टम
कम ओपीडी रूम, ज्यादा ओपीडी रूम
कम डॉक्टर बैठ पाते हैं , ज्यादा डॉक्टर बैठ पाएंगे
हेल्प डेस्क नही, हेल्प डेस्क रहेगी
पहले दिन से शुरू हो जाएंगी ये सेवाएं
डॉ. प्रमोद मिश्रा बताते हैं कि नए अस्पताल भवन में उपचार शुरू होने के पहले दिन से ही मेडिकल वार्ड, ओपीडी, शिशु वार्ड, सर्जरी, ट्रामा सेंटर, दवाओं का वितरण, एमएलसी आदि शुरू कर दी जाएगी। मेटरनिटी और एसएनसीयू सबसे बाद में शिफ्ट होगा। पहले सात दिन तक दोनों अस्पताल संचालित रहेंगे, फिर सारी व्यवस्थाएं नए अस्पताल में शिफ्ट कर दी जाएंगी।
डॉ. प्रमोद मिश्रा बताते हैं कि नए अस्पताल भवन में उपचार शुरू होने के पहले दिन से ही मेडिकल वार्ड, ओपीडी, शिशु वार्ड, सर्जरी, ट्रामा सेंटर, दवाओं का वितरण, एमएलसी आदि शुरू कर दी जाएगी। मेटरनिटी और एसएनसीयू सबसे बाद में शिफ्ट होगा। पहले सात दिन तक दोनों अस्पताल संचालित रहेंगे, फिर सारी व्यवस्थाएं नए अस्पताल में शिफ्ट कर दी जाएंगी।
कल्चर रिपोर्ट का इंतजार
सिविल सर्जन डॉ. संजय खरे ने बताया कि आठों ऑपरेशन थिएटर के फ्यूमीगेशन के बाद कल्चर सैम्पल भेज दिए गए हैं। मरीजों की सुरक्षा के लिए कल्चर रिपोर्ट नेगेटिव आने के बाद ही ऑपरेशन थिएटर शुरू किए जाएंगे। अभी रिपोर्ट आने का इंतजार है। अस्पताल में गेट पास व्यवस्था रहेगी।
सिविल सर्जन डॉ. संजय खरे ने बताया कि आठों ऑपरेशन थिएटर के फ्यूमीगेशन के बाद कल्चर सैम्पल भेज दिए गए हैं। मरीजों की सुरक्षा के लिए कल्चर रिपोर्ट नेगेटिव आने के बाद ही ऑपरेशन थिएटर शुरू किए जाएंगे। अभी रिपोर्ट आने का इंतजार है। अस्पताल में गेट पास व्यवस्था रहेगी।
मेडिकल कॉलेज का उपयोग होगा : अधीक्षक
मेडिकल कॉलेज के अधीक्षक का कहना है कि नए अस्पताल की ओपीडी में चिकित्सकों के बैठने के लिए पर्याप्त जगह है। प्रयास होगा कि हमारे डॉक्टर भी जिला चिकित्सालय के डॉक्टरों के साथ रोजाना ओपीडी में बैठें और उपचार करें। इससे लोगों कोभी लाभ होगा और हमारा भी उपयोग हो सकेगा। उन्होंने कहा कि जिला चिकित्सालय में अस्थिरोग का कोई विशेषज्ञ नहीं है, सभी मामले रेफर होते हैं, इस पर अब विराम लगेगा। मेडिकल कॉलेज में अस्थि रोग विशेषज्ञ हैं।
मेडिकल कॉलेज के अधीक्षक का कहना है कि नए अस्पताल की ओपीडी में चिकित्सकों के बैठने के लिए पर्याप्त जगह है। प्रयास होगा कि हमारे डॉक्टर भी जिला चिकित्सालय के डॉक्टरों के साथ रोजाना ओपीडी में बैठें और उपचार करें। इससे लोगों कोभी लाभ होगा और हमारा भी उपयोग हो सकेगा। उन्होंने कहा कि जिला चिकित्सालय में अस्थिरोग का कोई विशेषज्ञ नहीं है, सभी मामले रेफर होते हैं, इस पर अब विराम लगेगा। मेडिकल कॉलेज में अस्थि रोग विशेषज्ञ हैं।
हर माह 270 मरीज होते हैं रेफर
जिला अस्पताल के मौजूदा आंकड़े बताते हैं कि संसाधनों के अभाव में अभी तकरीबन 270 मरीज हर माह भोपाल रेफर किए जाते हैं। अगस्त में 5791 मरीज दाखिल हुए इनमें से 268 मरीजों को रेफर किया गया। सितम्बर में 5386 में से 274 तथा अक्टूबर माह में 5780 मरीजों में से 269 मरीजों को रेफर किया गया।
जिला अस्पताल के मौजूदा आंकड़े बताते हैं कि संसाधनों के अभाव में अभी तकरीबन 270 मरीज हर माह भोपाल रेफर किए जाते हैं। अगस्त में 5791 मरीज दाखिल हुए इनमें से 268 मरीजों को रेफर किया गया। सितम्बर में 5386 में से 274 तथा अक्टूबर माह में 5780 मरीजों में से 269 मरीजों को रेफर किया गया।