विदिशा

Dussehra 2024 : दशहरे पर रावण के मंदिर में लगता है भक्तों का मेला, यहां की परंपरा देशभर से है जुदा

Dussehra 2024: पूरे देश में दशहरा मनाने की तैयारियां शुरू चुकी हैं, 12 अक्टूबर को रावण का पुतला जलाकर लोग बुराई पर अच्छाई की जीत का जश्न मनाएंगे। लेकिन एक ऐसी दुनिया भी है जहां, कभी रावण दहन नहीं किया जाता, बल्कि लोग भगवान की तरह लंकेश की पूजा करते हैं…

विदिशाOct 12, 2024 / 10:35 am

Avantika Pandey

Dussehra 2024: हर साल विजयादशमी के दिन बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में लंकापति रावण का पुतला जलाया जाता है। रावण दहन का ये नजारा देखने लोगों की भीड़ उमड़ती है। 12 अक्टूबर को जैसे ही रावण दहन शुरू होगा पूरा आसमान आतिशबाजी से रंगीन होकर चमक उठेगा। लेकिन क्या आप जानते हैं दुनिया भर में ऐसे कई स्थान हैं, जहां रावण दहन नहीं किया जाता। बल्कि उसे भगवान के रूप में पूजा जाता है।
मध्य प्रदेश भी ऐसे स्थानों में से एक है, जहां दशहरे के दिन दहन की नहीं बल्कि विधि विधान से लंकेश पूजन किया जाता है। यहां स्थित लंकेश का सदियों पुराना मंदिर वैसे तो हर दिन गुलजार रहता है। लेकिन दशहरे से पहले इसकी चमक अनूठी होती है। रावण बाबा के नाम से मशहूर इस मंदिर में दशहरे के अवसर पर भक्तों की लंबी कतारें नजर आती हैं।

रावण बाबा का मंदिर

एक ओर जहां पूरे देश में रावण का पुतला जलाकर असत्य पर सत्य की जीत का जश्न मनाया जाता है। वहीं दूसरी ओर मध्यप्रदेश के विदिशा में एक ऐसा मंदिर मौजूद है जहां लंकापति रावण की सालों पुरानी मूर्ति स्थापित है। रावण बाबा के नाम से मशहूर इस मंदिर में रोजाना भक्त दर्शन के लिए पहुंचते है। विदिशा के नटेरन तहसील में ये धार्मिक स्थल स्थित है।
ये भी पढ़ें – Dhanteras 2024 : धनतेरस पर जरुर खरीदें ये सामान, घर में बनी रहेगी सुख-समृद्धि

चमत्कारों की है चर्चा

बता दें कि रावण बाबा मंदिर अपने चमत्कारों के लिए पूरे मध्यप्रदेश में प्रसिद्ध है। बड़े आकर में स्थापित लंका के राजा की मूर्ति को लोग भगवान की तरह पूजते है। मान्यता है कि रावण बाबा के दरबार में मांगी गई सभी मुरादें जरूर पूरी होती है। लोगों का कहना है कि कोई भी शुभ काम करने से पहले जो भी रावण बाबा के मंदिर में माथा टेकता है, उसके सारे काम बिना किसी परेशानी के पूरे हो जाते हैं।

Hindi News / Vidisha / Dussehra 2024 : दशहरे पर रावण के मंदिर में लगता है भक्तों का मेला, यहां की परंपरा देशभर से है जुदा

Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.