नील तब पड़ती हैं जब त्वचा के आस-पास मौजूद रक्त वाहिकाएं फट जाती हैं। इससे त्वचा के नीचे उत्तकों में खून का रिसाव होना शुरू हो जाता है। जानकारों के अनुसार इसके अलावा भी नील पड़ने के कई कारण हो सकते हैं, जो इस प्रकार हैं…
कई बार हल्की सी चोट लगने के कारण भी ऐसे निशान दिखाई दे सकते हैं। दरअसल, त्वचा पर चोट लगने से खून रिसने और आसपास की कोशिकाओं में फैल जाने के कारण शरीर की नील के निशान दिखने लगते हैं। इसके अलावा नील के निशान बढ़ती उम्र, पोषण की कमी व हेमोफिलिया के कारण भी हो सकते हैं।
भोजन में पोषक तत्वों की कमी भी इसका एक कारण हो सकता है। रक्त के थक्कों और जख्मों को भरने में विटामिन्स, मिनरल्स अहम भूमिका निभाते हैं। ऐसे में जब शरीर को जरूरी मात्रा में पोषक तत्व नहीं मिलते तो शरीर पर नील के निशान दिखाई देने लगते हैं। बता दें, विटामिन के, सी, जिंक और आयरन की कमी के कारण यह नील के निशान पड़ सकते हैं।
कैंसर के कारण भी शरीर पर ये निशान पड़ सकते हैं। इसके अलावा कैंसर का इलाज करने वाली कीमोथेरेपी के कारण भी शरीर पर नील के निशान पड़ सकते हैं क्योंकि इससे ब्लड प्लेटलेट्स नीचे आ जाते हैं। साथ ही इससे त्वचा के नीचे उत्तकों में खून का रिसाव होना शुरू हो जाता है।
वार्फेरिन और एस्पिरिन जैसी खून पतला करने वाली दवाइयां रक्त को जमने से रोकती हैं, जिससे नील के निशान पड़ने लगते हैं। अलावा नेचुरल सप्लीमेंट जैसे जिन्को बिलोबा, मछली का तेल और लहसुन का अधिक सेवन करने से भी यह समस्या हो सकती है।
अत्यधिक या बिना वजह से रक्तस्राव या नील पड़ना हीमोफीलिया का एक लक्षण है। हीमोफीलिया एक ऐसी जनेटिक बीमारी है, जिसमें शरीर के बाहर बहता हुआ रक्त जमता नहीं। यह बीमारी रक्त में थ्राम्बोप्लास्टिन नामक पदार्थ की कमी से होती है, जो खून का थक्का बनाने में मदद करता है।
नील पड़ने के एक कारण बढ़ती उम्र भी है। बूढ़ें लोगों की स्किन बहुत पतली हो जाती है जिससे रक्त वाहिकाओं को सहारा देने वाले ऊत्तक नाजुक होने लगते हैं और नील पड़ने शुरू हो जाते हैं। हालांकि ये निशान लाल रंग से शुरू होकर, हलके बैंगनी और गहरे रंग के होते हुए फिर हल्के होकर गायब हो जाते हैं।
जो लोग हैवी एक्सरसाइज करते हैं उनकी त्वचा पर भी नील पड़ जाते हैं क्योंकि इससे रक्त वाहिकाओं को में छोटे-छोटे कट पड़ जाते हैं। जिससे त्वचा के अंदर जमा खून नील की तरह दिखाई देने लगता है।
प्रोटीन की कमी से होने वाली इस बीमारी के कारण ज्यादा या विस्तारित रक्तस्राव होने लगता है। इसके कारण छोटी-सी चोट लगने के बाद भी शरीर पर नीले निशान दिखाई देने लगते हैं।
थ्रोम्बोफिलिया एक ब्लीडिंग डिसऑर्डर है जिसमें प्लेटलेट्स बहुत कम हो जाते हैं। साथ ही इससे खून के थक्के बनने की क्षमता भी कमजोर हो जाती है, जिससे नील के निशान पड़ने लगते हैं।
वैसे तो इस तरह की नील खुद-ब-खुद ठीक हो जाती हैं, लेकिन आयुर्वेद के डाक्टर राजकुमार के अनुसार कुछ घरेलू नुस्खे अपनाकर भी इस समस्या से छुटकारा पा सकते हैं। 1. एलोवेरा
एलोवेरा जेल से नील वाले एरिया पर 15-15 मिनट मसाज करें और फिर ऐसे ही छोड़ दें। इसके बाद इसे पानी से धो लें। इससे ना सिर्फ निशान गायब हो जाएंगे बल्कि यह दर्द से भी राहत दिलाएगा।
कच्चे आलू को अच्छे से पीस कर नील वाले एरिया पर लगाए। जब तक नील गायब न हो जाए, तब तक ऐसा करते रहे। इससे आपको जल्द ही फर्क देखने को मिलेगा।
बर्फ को तौलिए में लपेटकर नील पर रखें और 15 मिनट तक छोड़ दें। 2-3 घंटे में कम से कम 1 बार ऐसा करने से सूजन कम होगी और निशान धीरे-धीरे गायब हो जाएगा।