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विदिशा

हिन्दी भवन: बिना उपयोग हुए तीसरे वर्ष भी बारिश की मार झेल रहा भवन

भवन में आने लगी दरारें, बिगड़ने लगी हालत

विदिशाSep 11, 2022 / 12:38 am

Bhupendra malviya

हिन्दी भवन: बिना उपयोग हुए तीसरे वर्ष भी बारिश की मार झेल रहा भवन

हिन्दी भवन: बिना उपयोग हुए तीसरे वर्ष भी बारिश की मार झेल रहा भवन

विदिशा। नपा पर बिना प्लानिंग काम करने के आरोप पहले से ही लगते आए हैं इसी का उदाहरण शहर मेे हिन्दी भवन के निर्माण को भी माना जा रहा है। यहां हिन्दी भवन की जरूरत को महसूस करते हुए बस स्टैंड के समीप नपा ने इस भवन का निर्माण कराया लेकिन बनने के बाद बिना उपयोग हुए यह भवन तीसरे वर्ष बारिश की मार झेल रहा है। रखरखाव के अभाव में भवन की दीवारें जबाव देने लगी है। इसमें दरारें पड़ने लगी वहीं बारिश के दौरान छत से पानी भी टपक रहा। भवन के हाॅल में निर्माण सामग्री व कबाड़ा रखा जा रहा है। वहीं भवन में दो कमरे भी है जिनकी हालत भी खराब होने लगी है।

मालूम हो कि शहर के साहित्यकारों की वर्षों पुरानी मांग थी कि शहर में एक ऐसा भवन हो जिसमें साहि त्यिक व सांस्कृतिक गतिवि धियों को संचालित किया जा सके। विचार गोष्ठी, संगोष्ठी, परिचर्चा, सेमिनार काव्य गोष्ठी, कवि सम्मेलन व सांस्कृतिक आयोजन किया जाना संभव हो सके। अभी इन गतिविधियों के लिए अन्य स्थानों पर साहित्यकारों को जगह तलाशना पड़ती है। इस कमी को पूरा करने के लिए नपा ने बस स्टैंड के समीप इस हिन्दी भवन का निर्माण कराया लेकिन भवन अपेक्षा के अनुरूप नहीं होने से साहित्यकार इस भवन से दूरियां बनाए हुए हैं।फलस्वरूप कुछ जररूी कार्य शेष रहने, कुछ सुधार कार्य के अभाव में यह नया भवन बनने के बाद भी अनुपयोगी बना हुआ है। हॉल का उपयोग ठेकेदार अपनी निर्माण सामग्री रखने में कर रहे और भवन में निर्मित दो कमरों में एक आवासहीन परिवार शरण लिए हुए है।

16 लाख की राशि से निर्मित है भवन

मिली जानकारी के अनुसार इस भवन निर्माण में करीब 16 लाख की राशि खर्च हो चुंकी है और इसमें अभी अन्य कार्य के लिए और भी राशि की जरूरत थी, लेकिन व्यवस्था नहीं हो पाई और भवन बनाकर उसे अपने हाल पर छोड़ दिया गया। इस भवन में एक बड़ा हॉल, दो कमरे व लेटबाथ की व्यवस्था है, लेकिन इस बड़े हाल के बीच में पिलर दे दिए गए इससे हाल का स्वरूप बिगड़ गया वहीं कमरे भी अपेक्षाकृत छोटे होना माने जा रहे। फलस्वरूप भवन को साहित्य से जुड़े लोग अपेक्षानुरूप नहीं मान रहे हैं। वहीं बाहर से आने वाले कलाकारों व साहित्यकारों को रुकने विश्राम करने जैसी सुविधाएं भवन में उपलब्ध नहीं है। फलस्वरूप भवन तीन वर्ष से अनुपयोगी बना हुआ है और भवन मेे आवश्यक सुधार की तरफ भी कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है।

50 लाख के भवन की थी कल्पना

मिली जानकारी के अनुसार इस हिन्दी भवन को लेकर दो मंजिला भवन की कल्पना थी।भवन के निर्माण के लिए स्वतंत्रा सेनानी रघुवीर चरण शर्मा ने सम्मान निधि से 10 लाख की राशि दान स्वरूप दी थी। बताते हैं उस समय यह कहा गया था कि 10 लाख की राशि स्वतंत्रता सेनानी की एवं 15 लाख रुपए नपा इस कार्य में लगाएगी। वहीं 25 लाख की राशि जिला प्रशासन व राज्य शासन के सहयोग से लेकर करीब 50 लाख की राशि से यह भवन तैयार होने की कल्पना थी, लेकिन भवन के नाम पर दो कमरे व एक हाल ही बनकर रह गया है, जिससे साहित्यकार नाखुश हैं।
पूर्व कलेक्टर के आदेशों की भी अनदेखी
वहीं पूर्व कलेक्टर डॉ. पंकज जैन ने इस भवन के निरीक्षण के दौरान भवन में जरूरी सुधार, निर्माण व फर्नीचर आदि व्यवस्था के निर्देश दिए थे। इस दौरान भवन का पहुंच मार्ग दुरुस्त एवं समीप के पार्क को विकसित करने वही साहित्यकारों से चर्चा कर भवन में और भी जो जरूरी कार्य है उसका प्लान बनाकर इस कार्य को पूरा कराने की बात कही थी लेकिन उनके स्थानांतरण के साथ ही भवन की अनदेखी होती आ रही और रखरखाव के अभाव में भवन की हालत बिगड़ने लगी है।
वर्जन
हिन्दी भवन का करीब 50 लाख का प्रस्ताव था। भवन में ऊपर तल पर एक अतिथि कक्ष एवं लायब्रेरी कक्ष बनना जरूरी है। भवन के समीप की मंच बनना चाहिए जहां खुंले में भी सांस्कृतिक व साहित्यिक गतिविधियां की जा सके। इसके अलावा भवन परिसर में बाउंड्रीवाल, पहुंंच मार्ग, गेट आदि जरूरी कार्य होना चाहिए। इस संबंध में नपा की नई परिषद से भी चर्चा की जाएगी।

-गोविंद देवलिया, सचिव, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी ट्रस्ट

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