फरवरी में एक दिन भी नहीं बंटा मध्यान्ह भोजन
जिला मुख्यालय से करीब 110 किमी दूर और लटेरी से करीब 12 किमी दूर खट्यापुरा गांव बंजारा बाहुल्य बस्ती है। यहां प्राथमिक शाला में 41 बच्चे दर्ज हैं, जिनमें से आधे बच्चे भी स्कूल नियमित नहीं आते। आ जाएं तो बैठने की समस्या है क्योंकि बच्चों की पांचों कक्षाएं लगने, मध्यान्ह भोजन बनने और बैठकर खाने के साथ ही स्कूल और मध्यान्ह भोजन बनाने का पूरा सामान, गेंहू, आटा, गैस सिलेंडर, चूल्हा, बर्तन सब इसी कमरे में रहते हैं। इस प्राथमिक शाला में यूं तो रसोई स्कूल के इसी एकमात्र कमरे को बना रखा है, लेकिन पूरे फरवरी में यहां एक दिन भी मध्यान्ह भोजन नहीं बना और न बच्चों को बंटा। शिक्षक कहते हैं कि खाते में केवायसी की कुछ समस्या होने के कारण भोजन नहीं बन पा रहा है।
जिला मुख्यालय से करीब 110 किमी दूर और लटेरी से करीब 12 किमी दूर खट्यापुरा गांव बंजारा बाहुल्य बस्ती है। यहां प्राथमिक शाला में 41 बच्चे दर्ज हैं, जिनमें से आधे बच्चे भी स्कूल नियमित नहीं आते। आ जाएं तो बैठने की समस्या है क्योंकि बच्चों की पांचों कक्षाएं लगने, मध्यान्ह भोजन बनने और बैठकर खाने के साथ ही स्कूल और मध्यान्ह भोजन बनाने का पूरा सामान, गेंहू, आटा, गैस सिलेंडर, चूल्हा, बर्तन सब इसी कमरे में रहते हैं। इस प्राथमिक शाला में यूं तो रसोई स्कूल के इसी एकमात्र कमरे को बना रखा है, लेकिन पूरे फरवरी में यहां एक दिन भी मध्यान्ह भोजन नहीं बना और न बच्चों को बंटा। शिक्षक कहते हैं कि खाते में केवायसी की कुछ समस्या होने के कारण भोजन नहीं बन पा रहा है।
बाहर भोजन बनने का इंतजाम नहीं- शिक्षक सलीम
जिस कमरे में बच्चों की सभी कक्षाएं, भोजन निर्माण भी उसी कक्ष में क्यों? शिक्षक का कहना है कि मध्यान्ह भोजन व्यवस्था यहां शाला प्रबंधन समिति संचालित करती है, इसलिए बाहर से भोजन बनकर नहीं आता। एकमात्र शिक्षक हैं सलीम खान। वे बताते हैं कि हम क्या करें। एक ही कमरा और एक ही शिक्षक है। इसलिए सभी पांच कक्षाओं के बच्चों को एक साथ बैठाना मजबूूरी है। जब भोजन बनता है तो बच्चों को बाहर बैठा देते हैं। बाहर कोई इंतजाम नहीं है, इसलिए भोजन भी यहीं इसी कमरे में बनता है।
जिस कमरे में बच्चों की सभी कक्षाएं, भोजन निर्माण भी उसी कक्ष में क्यों? शिक्षक का कहना है कि मध्यान्ह भोजन व्यवस्था यहां शाला प्रबंधन समिति संचालित करती है, इसलिए बाहर से भोजन बनकर नहीं आता। एकमात्र शिक्षक हैं सलीम खान। वे बताते हैं कि हम क्या करें। एक ही कमरा और एक ही शिक्षक है। इसलिए सभी पांच कक्षाओं के बच्चों को एक साथ बैठाना मजबूूरी है। जब भोजन बनता है तो बच्चों को बाहर बैठा देते हैं। बाहर कोई इंतजाम नहीं है, इसलिए भोजन भी यहीं इसी कमरे में बनता है।
पांचवी के बच्चे नहीं पढ़ पाते एक लाइन
व्यवस्थाएं देखकर ही यहां शिक्षा के स्तर का अंदाजा लगाया जा सकता है। नाममात्र का स्कूल है। बस शाला में बच्चे प्रवेशित हैं यानी रजिस्टर में दर्ज हैं, आते भी हैं कुछ, लेकिन खानापूर्ति को। क्येांकि यहां पांचवी के भी किसी भी बच्चे को हिन्दी की किताब की एक लाइन तक पढऩा नहीं आती। जब पांचवी के छात्र कान्हा से पढऩे को कहा गया तो वह एक लाइन भी नहीं पढ़ सका।
व्यवस्थाएं देखकर ही यहां शिक्षा के स्तर का अंदाजा लगाया जा सकता है। नाममात्र का स्कूल है। बस शाला में बच्चे प्रवेशित हैं यानी रजिस्टर में दर्ज हैं, आते भी हैं कुछ, लेकिन खानापूर्ति को। क्येांकि यहां पांचवी के भी किसी भी बच्चे को हिन्दी की किताब की एक लाइन तक पढऩा नहीं आती। जब पांचवी के छात्र कान्हा से पढऩे को कहा गया तो वह एक लाइन भी नहीं पढ़ सका।
हम तो अनपढ़ रह गए, बच्चों की जिंदगी बन जाए…
गांव के बाबूलाल का कहना है कि हमारे बच्चों को पढऩा और अपना नाम भी ठीक से लिखना नहीं आता। हम लोग तो अनपढ़ रह गए, लेकिन कुछ ऐसा इंतजाम करा दो स्कूल में कि हमारे बच्चे पढ़ जाएं और उनकी जिन्दगी बन जाए। गांव के ही प्रेमसिंह कहते हैं कि स्कूल में आने वाले बच्चे पांचवी पास तो हो जाते हैं, लेकिन उन्हें अपने दस्ताखत करना भी नहीं आता। न शिक्षक हैं और न मध्यान्ह भोजन। पढ़ाई तो है ही नहीं, फिर बच्चों को क्येां स्कूल भेजें और बच्चे क्यों स्कूल आएं।
वर्जन…
स्कूल में एक ही कक्ष स्वीकृत है। किचिन शेड भी स्वीकृत नहीं है। अब किचिन शेड के लिए जिला पंचायत को मांग पत्र भेजने के लिए कहा गया है।
-एसपी सिंह, डीपीसी विदिशा
गांव के बाबूलाल का कहना है कि हमारे बच्चों को पढऩा और अपना नाम भी ठीक से लिखना नहीं आता। हम लोग तो अनपढ़ रह गए, लेकिन कुछ ऐसा इंतजाम करा दो स्कूल में कि हमारे बच्चे पढ़ जाएं और उनकी जिन्दगी बन जाए। गांव के ही प्रेमसिंह कहते हैं कि स्कूल में आने वाले बच्चे पांचवी पास तो हो जाते हैं, लेकिन उन्हें अपने दस्ताखत करना भी नहीं आता। न शिक्षक हैं और न मध्यान्ह भोजन। पढ़ाई तो है ही नहीं, फिर बच्चों को क्येां स्कूल भेजें और बच्चे क्यों स्कूल आएं।
वर्जन…
स्कूल में एक ही कक्ष स्वीकृत है। किचिन शेड भी स्वीकृत नहीं है। अब किचिन शेड के लिए जिला पंचायत को मांग पत्र भेजने के लिए कहा गया है।
-एसपी सिंह, डीपीसी विदिशा