
श्रीगंगानगर.
किन्नू के प्रति पेड़ लगभग 5555 रुपए पाए हैं निकटवर्ती गांव कल्लरखेड़ा (पंजाब) के किसान मनोहरलाल नोखवाल ने। उनके 2 किला बाग में सिर्फ 144 पेड़ हैं और इसका ठेका हुआ 8 लाख रुपए में। यह इलाके का अभी तक के सबसे महंगे सौदों में से एक माना जा रहा है। पंजाब के ही गांव रामसरा में 14 किला बाग का ठेका अक्टूबर में 52 लाख 51 हजार रुपए के हिसाब से हुआ था, तब यह सौदा भी अचरज भरा माना गया था, अब कल्लरखेड़ा में हुआ ठेका उससे भी आगे निकल गया है। किन्नू की ठेकेदारी से जुड़े प्रीत सिंह के अनुसार कम पेड़ होने के बावजूद 2 किला बाग का ठेका इतनी राशि में होना बड़ी बात है। इस बाग का फल गुणवत्ता में काफी आगे है। आकार एवं रंग अच्छा है साथ ही फल रस से भरा है।
पाक को पछाड़ चुके
गंगानगरी किन्नू गुणवत्ता के मामले में ढाई दशक पहले पाकिस्तान को पछाड़ चुका है। तब इंग्लैण्ड के फलों के प्रमुख व्यापारी टोनी बटलर यहां आए और प्रभावित हुए। किन्नू ने पहली बार इंग्लैण्ड और श्रीलंका का सफर किया। फलों के अंतरराष्ट्रीय बाजार में पसंद आया और उम्मीद जगी कि सबसे बड़े निर्यातक पाक को पटखनी दे देगा। कृषि विपणन विभाग के तत्कालीन संयुक्त निदेशक डॉ. महेंद्र मधुप ने इस दिशा में काफी प्रयास किए। तीन साल लगभग 40 टन किन्नू विदेश गया, उसके बाद कुछ नहीं हुआ। सरकार ने इस तरफ ध्यान नहीं दिया, दूसरी तरफ घरेलू बाजार में उत्पादकों को भाव ठीक लगे तो उन्होंने भी निर्यात में रूचि नहीं दिखाई। अब कुछ सालों से किन्नू फिर विदेश जाने लगा है।
डिग्गी न ड्रिप
किसान मनोहरलाल नोखवाल के पास कुल 12 किला जमीन है, दो किला में 12-13 साल पहले किन्नू का बाग लगाया था। वे कहते हैं कि जोत जरूर कम है, लेकिन मेहनत में दम है। डिग्गी-ड्रिप संयंत्र नहीं हैं, लेकिन सार-संभाल बहुत है। पौधों की संख्या कम रखी, रोजाना न केवल बाग में जाने का, बल्कि अपने हाथ से काम करने का क्रम बना रखा है।
उत्पादन कम, मांग ज्यादा
किन्नू का उत्पादन इस बार कम हुआ है। जानकारों के अनुसार मौसम अनुकूल नहीं रहने, तापमान में उतार-चढ़ाव आदि कारणों के चलते चालू सीजन में उत्पादन गत सीजन की अपेक्षा 40 से 50 प्रतिशत कम है। फल की मांग ज्यादा है, इस वजह से दाम अपेक्षाकृत अधिक है। तोल के हिसाब से किन्नू के इन दिनों सौदे 20-21 रुपए प्रति किलो के हिसाब से हो रहे हैं जबकि गत सीजन में यह भाव 14 से 16 रुपए प्रति किलो था।
बनी है पहचान
गंगानगरी किन्नू की विशिष्ट पहचान बनी है। गत साल रूस सहित कई देशों में निर्यात हुआ था, चालू सीजन में दुबई एवं रूस जा रहा है
अरविन्द गोदारा, प्रगतिशील किसान व निर्यातक।
मेहनत का प्रतिफल
'किसान मनोहरलाल को मेहनत का प्रतिफल मिला है। अपने हाथ से काम करने एवं नियमित सार-संभाल करने से किन्नू उत्पादन एवं गुणवत्ता में इक्कीस है ।
बलवंतराम, कृषि आदान विक्रेता, कल्लरखेड़ा
समय पर काम जरूरी
'बागों में समय पर सारा काम जरूरी है। जो किसान ऐसा करता है एवं पानी, खाद, बीमारी से बचाव आदि का ध्यान रखता है वह अधिक नफे में रहता है।
डॉ. एके श्रीवास्तव,
उद्यानविज्ञ, श्रीगंगानगर।
Published on:
14 Dec 2017 08:31 am
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