काशी के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पं.ऋषि द्विवेदी ने बताया कि नवरात्र के सातवे दिन मां कालरात्रि का दर्शन किया जाता है। माता का स्वरुण विकराल होता है। काजल की कं्राति की तरह है लेकिन मां का यह रूप राक्षसों व दैत्यों के लिए ही विकराल है अपने भक्तों पर मां की कृपा बरसती है। जिस तरह एक माता अपने छोटे बच्चे की रक्षा करती है उसी तरह मां कालरात्रि भी अपने साधकों को दुष्टों से बचाती है। ज्योतिषाचार्य ने बताया कि यदि कोई प्रेत बाधा से परेशान है यह शत्रु उसको नुकसान पहुंचा सकते हैं तो ऐसे व्यक्ति को अवश्यक ही माता कालरात्रि का दर्शन करना चाहिए। मां का आशीर्वाद मिल जायेगा तो उसके शत्रु भी पराजित हो जायेंगे। माता की चार भुजा है एक भुजा में अभय, दूसरे में मुद्रा, तीसरे में लौहे का कंटक व चौथे में कड़क विराजमान है। ज्योतिषाचार्य ने बताया कि किसी व्यक्ति की कुंडली में ग्रह दोष है तो उसके जीवन में तमाम तरह की बाधा आती है लेकिन वही व्यक्ति नवरात्र के सातवे दिन माता का दर्शन कर लेता है तो ग्रह दोष शांत हो जाते हैं और जीवन में सफलता का मार्ग प्रशस्त हो जाता है। ज्योतिषाचार्य पं.ऋषि द्विवेदी ने बताया कि मां नारियल की बलि चढ़ायी जाती है। गुड़हल के साथ चंपा व चमेली का भी पुष्प चढाया जाता है। माता को लाल पेड़ा बहुत पसंद है। माता को सामने इस खास मंत्र का 1008 बार जाप करने से साधक पर मां की कृपा बरसती है।
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