पीएम नरेन्द्र मोदी के संसदीय क्षेत्र बनारस के दुर्गाकुंड क्षेत्र में रहने वाले स्वामी शिवानंद (123) साल के हैं। दावा किया जाता है कि आप दुनिया के सबसे वृद्ध व्यक्ति है। अपने जीवनकाल में कितने पीएम व राष्ट्रपति देख चुके स्वामी शिवानंद क पीएम नरेन्द्र मोदी के प्रति विशेष लगाव है। उन्होंने कहा कि वह लोकसभा चुनाव 2019 के लिए पीएम नरेन्द्र मोदी का प्रस्तावक बनना चाहते हैं। कहा कि देश के विकास के लिए पीएम नरेन्द्र मोदी बहुत जरूरी हैं। पीएम नरेन्द्र मोदी के आह्वान पर यूपी चुनाव 2017 में 121 साल की आयु में जाकर मतदान किया था। स्वामी शिवानंद साफ कहते हैं कि मैंने इतने लम्बे जीवनकाल में पीएम नरेन्द्र मोदी जितना ईमानदार नेता और नहीं देखा। बहुत से राजनीतिज्ञ और सोशल व्यक्ति देखे हैं लेकिन पीएम मोदी जैसा अन्य नेता नहीं देखा। मेरी इच्छा है कि एक बार पीएम नरेन्द्र मोदी ने मुलाकात हो जाये।
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8 अगस्त 1896 को हुआ था स्वामी शिवानंद का जन्म
स्वामी शिवानंद का जन्म 8 अगस्त 1896 को श्रीहट्ट जिले के एक गरीब परिवार में हुआ था। वर्तमान में यह जगह बांग्लादेश में स्थित है। स्वामी शिवानंद के माता-पिता भीख मांग कर अपना जीवन चलाते थे। गरीबी के चलते बचपन में स्वामी शिवानंद को भरपेट भोजन तक नसीब नहीं हुआ। आर्थिक तंगी के चलते परिजनों ने स्वामी शिवानंद को जय गुरूदेव को सौंप दिया था। इसके बाद वह आज्ञम में ही रहने लगे। 1903में वापस अपने गांव लौट कर गये थे तो पता चला कि भूख के कारण उनके मां-बाप की मौत हो गयी। इसके बाद स्वामी शिवानंद फिर से आश्रम में आकर रहने लगे। गुरूजी जे बकायदे दीक्षा ली। इसके बाद 1977में वृंदावन चले गये और 1979 से काशी के दुर्गाकुंड के कबीरनगर स्थित आश्रम में रहते हैं। स्वामी शिवानंद आराम से अंग्रेजी तक बोल लेते हैं और सभी विषयों पर उनकी पकड़ हैं।
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स्वामी शिवानंद का जन्म 8 अगस्त 1896 को श्रीहट्ट जिले के एक गरीब परिवार में हुआ था। वर्तमान में यह जगह बांग्लादेश में स्थित है। स्वामी शिवानंद के माता-पिता भीख मांग कर अपना जीवन चलाते थे। गरीबी के चलते बचपन में स्वामी शिवानंद को भरपेट भोजन तक नसीब नहीं हुआ। आर्थिक तंगी के चलते परिजनों ने स्वामी शिवानंद को जय गुरूदेव को सौंप दिया था। इसके बाद वह आज्ञम में ही रहने लगे। 1903में वापस अपने गांव लौट कर गये थे तो पता चला कि भूख के कारण उनके मां-बाप की मौत हो गयी। इसके बाद स्वामी शिवानंद फिर से आश्रम में आकर रहने लगे। गुरूजी जे बकायदे दीक्षा ली। इसके बाद 1977में वृंदावन चले गये और 1979 से काशी के दुर्गाकुंड के कबीरनगर स्थित आश्रम में रहते हैं। स्वामी शिवानंद आराम से अंग्रेजी तक बोल लेते हैं और सभी विषयों पर उनकी पकड़ हैं।
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