अधिकतम पारे में लगातार बढ़ता जा रहा है। 28 मई को45.3 था जो अब 45.5 डिग्री सेल्सियस पर पहुंच गया है। भीषण गर्मी के इस दौर ने लोगों को 1998 की याद दिला दी है जब अधिकतम तापमान 46.8 डिग्री सेल्सियस पहुंच गया था और लू के चलते कई लोगों की जान चली गयी थी। मौसम के जानकारों की माने तो उन्हें गर्मी अपना पिछला रिकॉड़ तोड़ते हुए नहीं दिख रही है लेकिन इतनी ही गर्मी लोगों के स्वास्थ्य पर भारी पड़ रही है। आसमान से दहकते अंगारों के बीच लोगों का घर से निकलना कठिन हो गया है। पूरा शरीर ढक कर निकलने के बाद भी गर्म हवाओं के थपेड़े शरीर को झुलासा दे रहे हैं। गर्मी का मार अब लोगों के बर्दाश्त से बाहर होने लगी है।
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पूर्वी यूपी में बन रहा साइक्लोनिक सर्कुलेशन
मौसम वैज्ञानिक प्रो.एसएन पांडेय के अनुसार पूर्वी यूपी में साइक्लोनिक सर्कुलेशन बन रहा है जिसका असर आते ही तापमान में कुछ कमी आ सकती है। इस बार मानसून लेट से आने की संभावना है जिसका असर प्री मानसून पर भी पड़ेगा। जून में ही प्री मानसून की बौछारे से राहत मिल सकती है तब तक गर्मी में उतार-चढ़ाव चलता रहेगा।
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