वरूणा नदी में चौकाघाट के पास बड़ा नाला गिरता है। सीवर के पानी को चौकाघट पम्पिंग स्टेशन से जोड़ कर एसटीपी तक भेजना था। इस काम के लिए रेलवे की अनुमति जरूरी थी क्योंकि रेलवे को अपनी १०२ मीटर जमीन देनी है। काफी समय से रेलवे व सिंचाई विभाग में जमीन को लेकर वार्ता हो रही थी और अब जाकर लीज पर देने पर निर्णय हुआ। रेलवे को 102 मीटर जमीन के लिए 54 लाख का भुगतान करना होगा। इसके बाद ही जमीन लीज पर लेकर एसटीपी तक जोडऩे के लिए पाइप लाइन बिछायी जायेगी। सिंचाई विभाग जल्द ही रेलवे को निर्धारित धनराशि का भुगतान करने वाला है इसके बाद ही वरूणा नदी में गिरने वाला सीवर का पानी एसटीपी तक पहुंच सकेगा।
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दिसम्बर में हो सकता है वरूणा कॉरीडोर का उद्घाटन
वरूणा कॉरीडोर प्रोजेक्ट शुरू से ही विवादों के घेरे में रहा है। यूपी के तत्कालीन सीएम अखिलेश यादव ने इस प्रोजेक्ट की नीव रखी थी इसके बाद सीएम योगी आदित्यनाथ सरकार में इस प्रोजेक्ट का बचा हुआ काम पूरा कराया गया। वरूणा में गिरने वाला नाला ही अब जोडऩा बाकी है इसके बाद प्रोजेक्ट का उद्घाटन किया जायेगा। वरूणा नदी के बढ़े जलस्तर के चलते कॉरीडोर पहले डूब गया था और अब वरूणा का पानी उतर रहा है। इसके चलते अभी सीवर लाइन जोडऩ का काम होना संभव नहीं है। 15 अक्टूबर के बाद सीवर लाइन जोडऩे का काम शुरू होगा और 30 नवम्बर तक इसे पूरा किया जायेगा। इसके बाद ही दिसम्बर में इस प्रोजेक्ट का उद्घाटन होना संभव होगा।
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वरूणा कॉरीडोर प्रोजेक्ट शुरू से ही विवादों के घेरे में रहा है। यूपी के तत्कालीन सीएम अखिलेश यादव ने इस प्रोजेक्ट की नीव रखी थी इसके बाद सीएम योगी आदित्यनाथ सरकार में इस प्रोजेक्ट का बचा हुआ काम पूरा कराया गया। वरूणा में गिरने वाला नाला ही अब जोडऩा बाकी है इसके बाद प्रोजेक्ट का उद्घाटन किया जायेगा। वरूणा नदी के बढ़े जलस्तर के चलते कॉरीडोर पहले डूब गया था और अब वरूणा का पानी उतर रहा है। इसके चलते अभी सीवर लाइन जोडऩ का काम होना संभव नहीं है। 15 अक्टूबर के बाद सीवर लाइन जोडऩे का काम शुरू होगा और 30 नवम्बर तक इसे पूरा किया जायेगा। इसके बाद ही दिसम्बर में इस प्रोजेक्ट का उद्घाटन होना संभव होगा।
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