वाराणसी

सिपाहियों के शराब तस्करी में पकड़े जाने के बाद पुलिस विभाग में हड़कंप, निलंबित पुलिसकर्मी बने थे बिचौलिये

तीन सिपाहियों को किया गया निलंबित, शराब सिंडिकेट के एजेंट व गैंग से मिले सिपाहियों की बड़े होटलों में होती थी बैठक

वाराणसीSep 11, 2019 / 12:40 pm

Devesh Singh

Liquor smuggling accused Policeman

वाराणसी. बिहार में शराब की तस्करी से इतनी अधिक कमाई हो रही है कि कुछ पुलिसकर्मी इस धंधे में शामिल होकर अपनी नौकरी दांव पर लगा रहे हैं। चंदौली पुलिस ने जब इस धंधे का खुलासा कर तस्करी गैंग में शामिल तीन पुलिसकर्मियों को पकड़ कर पूछताछ की तो बड़ा खुलासा हुआ। शराब तस्करी गैंग में कई पुलिसकर्मी भी शामिल है जिनके नाम जांच के बाद सामने आयेंगे। सीमावर्ती थाने में तैनात सिपाही ही शराब व पशु तस्करी से जुड़े रहते हैं। एक बार तस्करी का सामान अपने थाने से पार कराने पर उन्हें हजारों रुपये मिलते थे जिसकी लालच में आरोपी सिपाहियों ने वर्दी के सम्मान को ही दांव लगा दिया था।
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हरियाणा के कई गिरोह बिहार में अवैध ढंग से शराब पहुंचाने में जुटे रहते हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जब से बिहार में शराबबंदी की है तभी से वहां पर तस्करी कर शराब पहुंचाने का धंधा दिन-रात बढ़ रहा है। बिहार तक शराब पहुंचाने में सबसे बड़ी बाधा पुलिस होती है। हरियाणा से बिहार तक के एक हजार किलोमीटर से अधिक के सफर के दौरान हजारों पुलिस थाने पड़ते हैं। हरियाणा से शराब लादने के बाद उसका फर्जी कागजात तैयार किया जाता है यदि पुलिसकर्मी उस कागजात को सही मान कर शराब लदे वाहन को छोड़ देते हैं तो ठीक है यदि वाहन पकड़ा जाता है तो उसे छुड़ाने की जिम्मेदारी उन पुलिसकर्मी की होती है जो शराब तस्कर से जुड़े रहते हैं।
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सीमा पर तैनात सिपाहियों को करते हैं गैंग में शामिल, निलंबित पुलिसकर्मियों को बनाते हैं बिचौलिया
शराब तस्कर सीमा के थाने पर तैनात सिपाहियों को गैंग में शामिल करते हैं। यदि कोई पुलिसकर्मी पशु तस्करी व शराब सप्लायरों की मदद करने के आरोप में निलंबित हो जाता है तो शराब तस्कर ऐसे पुलिसकर्मी को बिचौलियां बनाते थे। इन सिपाहियों का काम पुलिस द्वारा शराब से लदे वाहन को पकड़ लेने पर उन्हें छुड़ाना होता था। एक ही थाने में तैनात होने के कारण वह साथ काम करने वाले दूसरे सिपाहियों को हजारों रुपये का लालच देकर वाहन को छुड़वाते थे। निलंबित सिपाही भी अपने पूर्व थाना क्षेत्र के हाईवे पर ही दिन भर सक्रिय होते थे उनका काम भी शराब तस्करी में पुलिस द्वारा पकड़े गये वाहन को छुड़ाना होता था। बड़े-बड़े होटलों में तस्करों के लोग व पुलिसकर्मियों में बैठक होती थी वही पर प्रति वाहन का रेट तय होता था।
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बड़े मामले का ऐसा हुआ था खुलासा
चंदौली पुलिस ने क्रेटा वाहन से पांच लाख की शराब पकड़ी थी। वाहन को छुड़ाने के लिए रामनगर थाने में तैनात दो सिपाही वैभव कुमार यादव व सोनू यादव पहुंचे थे और वाहन नहीं छोडऩे पर दोनों सिपाहियों ने चंदौली पुलिस के साथ मारपीट भी की थी। चंदौली पुलिस ने दोनों सिपाहियों को पकड़ कर पूछताछ की तो निलंबित चल रहे तीसरे सिपाही अजीत यादव का नाम सामने आया। अजीत बनारस के पुलिस लाइन में तैनात था। चंदौली पुलिस ने तीनों सिपाहियों के कारनामे की जानकारी जब बनारस के एसएसपी आनंद कुलकर्णी को दी तो उन्होंने पुलिस लाइन में तैनात तीसरे आरोपी सिपाही को निलंबित किया। साथ ही चंदौली पुलिस के हवाले कराया।
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लग्जरी वाहन से करते थे तस्करी, व्हाट्सऐप कॉलिंग के जरिए होती थी बात
शराब तस्करों ने पुलिस को चकमा देने के लिए लग्जरी वाहन से शराब तस्करी शुरू की है। गैंग के सदस्य आपस में व्हाट्सऐप से कॉल करते हैं, जिससे वह सर्विलांस में पकड़े नहीं जाते हैं। राज्यों के सीमावर्ती थाने पर तैनात पुलिसकर्मी लग्जरी वाहन पर शक नहीं करते थे। चंदौली पुलिस ने लगभग 15 लाख कीमत वाली क्रेटा वाहन को पकड़ कर इस गैंग का खुलासा किया था। इतने महंगे वाहन से पांच लाख की अवैध शराब बरामद हुई थी।
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