अक्षय तृतीया की शाम कुंड पर पहुंचती है माता की प्रतिमा इस आयोजन के सम्बन्ध में मणिकर्णिका कुंड के प्रधान पुरोहित जयेन्द्रनाथ दुबे ने बताया कि साल में एक बार अक्षय तृतीया के अवसर पर शाम को मां मणिकर्णिका की प्रतिमा को कुंड पर लाया जाता है। यहां उनका भव्य शृंगार होता है और दूसरे दिन उन्हें भव्य भोग अर्पित किया जाता है। अक्षय तृतीया के दूसरे दिन माता मणिकर्णिका के दर्शन और मणिकर्णिका कुंड में स्नान का विशेष महत्त्व है।
क्षय रोग से मिलती है मुक्ति प्रधान पुरोहित ने बताया कि मान्यता है कि आज के दिन इस कुंड में स्नान मात्र से अक्षय फल की प्राप्ति होती है और क्षय रोग से हमेशा के लिए लोगों को मुक्ति मिल जाती है। ऐसे में काशी पुष्करम कुंभ की वजह से सैंकड़ों दक्षिण भारतीय श्रद्धालुओं ने भी आस्था की डुबकी मणिकर्णिका कुंड में लगाईं।