इस संबंध में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के समाज शास्त्र विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो अरविंद जोशी ने पत्रिका से बातचीत में भरे दिल से शोक संवेदना व्यक्त की। उन्होंने कहा कि जनरल रावत से उनके पारिवारिक संबंध रहे। कोरोना काल से ठीक पहले दिल्ली में मेरे परिवार के ही एक मांगलिक समारोह में वो मिले तब उन्होंने बनारस से अपनी आत्मीयता का उल्लेख करते हुए बहुत जल्द वाराणसी आने का वादा किया था। प्रो जोशी ने कहा कि लेकिन उनकी ये कामना पूरी न हो सकी। प्रो जोशी ने सीडीएस जनरल रावत के निधन पर गहरी संवेदना जताई।
बता दें कि 2017 में वाराणसी स्थित गोरखा रायफल के गठन की 200वीं सालगिरह के मौके पर आयोजित स्थापना दिवस समारोह में शरीक होने के लिए वो बनारस आए थे। उस वक्त वह थल सेना अध्यक्ष रहे। उस वक्त अपनी भारतीय सेना की वीरता पर गर्व करते हुए उन्होने कहा था कि भारतीय सेना हर तरह की परिस्थियों का माकूल जवाब देने में सक्षम है। उसके पास किसी चीज की कोई कमी नहीं। फिर भी अत्याधुनिक तकनीक से लैस करना है जो काम जारी है।
उसी दौरान जनरल रावत ने पत्नी मधुलिका रावत संग विश्व प्रसिद्ध काशी की गंगा आरती का भी भरपूर लुत्फ उठाया था। साथ ही बाबा विश्वनाथ दरबा में मत्था टेक देश की खुशहाली और संप्रभुता की रक्षा का आशीर्वाद मांगा था। मंदिर परिसर से बाहर निकल कर मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा था, “काशी वाकई में त्रिलोक से न्यारी और एक अद्भुत आध्यात्मिक शहर है। यहां आकर नई ऊर्जा का संचार हुआ है।”
लेकिन किसे पता था कि इतनी जल्दी वो इस तरह से दुनिया को अलविदा कह देंगे। बता दें कि बुधवार की सुबह ही उन्होंने दिल्ली से तमिलनाडु के लिए उड़ान भरी थी और हेलीकॉप्टर क्रैश में पत्नी मधुलिका सहित दुनिया से विदा हो गए।
जनरल रावत के निधन पर वाराणसी के सांसद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर श्रद्धा सुमन अर्पित किया।