आठ नवंबर को खग्रास चंद्रग्रहण इन सबका आकलन से यह तय किया गया कि, सायंकाल व्यापिनी पूर्णिमा में ही त्रिपुरोत्सव अर्थात देव दीपावली का आयोजन किया जाता है। इसलिए निसंदेह रूप में सात नवंबर को ही देवदीपावली आयोजित होना शास्त्र सम्मत है। आठ नवंबर को शाम तक चंद्रग्रहण और उसके बाद गंगा के घाटों पर स्नानार्थियों की भीड़ को देखते हुए देवदीपावली आयोजन से जुड़ी संस्थाएं व समितियां पहले ही सात नवंबर को देवदीपावली मनाने का निर्णय ले चुकी हैं। अपने फैसले से पुलिस व जिला प्रशासन को भी अवगत करा दिया है।
यह भी पढ़े – रेलवे चलाएगा दशहरा और दीपावली के लिए पूजा स्पेशल ट्रेन, तुरंत कराएं बुंकिंग मिलेंगी कंफर्म बर्थ बैठक की अध्यक्षता प्रो रामचंद्र पांडेय ने की प्रो रामचंद्र पांडेय की अध्यक्षता में प्रो चंद्रमौली उपाध्याय, प्रो विनय कुमार पांडेय, प्रो सुभाष पांडेय, प्रो वशिष्ठ त्रिपाठी, प्रो राम किशोर त्रिपाठी आदि विद्वानों ने शास्त्र के वचनों को उपस्थापित करते हुए निर्णय दिया। विषय का उपस्थापन व संयोजन महामंत्री प्रो राम नारायण द्विवेदी ने किया।
यह भी पढ़े – यूपी के मुजफ्फरनगर में खुलेगी सूबे की पहली फ्रूट वाइनरी, शराब के शौकीनों की आ गई मौज सैलानियों को लगेगी चपत देवदीपावली के लिए होटलों में बुकिंग छह माह पहले से हो चुकी है। सबसे अधिक बुकिंग सात नवंबर व आठ नवंबर को है। जिन लोगों ने सिर्फ आठ नवंबर की बुकिंग कराई है, उनके सामने दिक्कत है। ये लोग होटल प्रबंधन से तारीख बदलने के लिए संपर्क कर रहे हैं। इसे मैनेज करने में अब होटल प्रबंधन को पसीने छूट रहे हैं।