वाराणसी

धार्मिक स्थलों की देखरेख के लिए यूपी सरकार बनाएगी निदेशालय, वाराणसी में होगा मुख्यालय

अब तक धर्म कर्म के कार्यों के लिए विभाग तो था लेकिन इसका निदेशालय नहीं था। इसके चलते धर्मार्थ कार्य विभाग के प्रोजेक्ट्स से जुड़े काम करवाने में प्रशासन को मुश्किल का सामना करना पड़ता था।

वाराणसीDec 13, 2020 / 10:18 am

Karishma Lalwani

धार्मिक स्थलों की देखरेख के लिए यूपी सरकार बनाएगी निदेशालय, वाराणसी में होगा मुख्यालय

वाराणसी. यूपी सरकार जल्द ही राज्य के सभी धार्मिक स्थलों के पंजीकरण व रेगुलेशन के लिए कानून ला सकती है। प्रदेश में धर्म कर्म के कार्यों के लिए निदेशालय के गठन का प्रस्ताव पास किया गया है। अब तक धर्म कर्म के कार्यों के लिए विभाग तो था लेकिन इसका निदेशालय नहीं था। इसके चलते धर्मार्थ कार्य विभाग के प्रोजेक्ट्स से जुड़े काम करवाने में प्रशासन को मुश्किल का सामना करना पड़ता था। अब धार्मिक स्थलों के रेगुलेशन के लिए कानून ला कर यूपी सरकार प्रशासन का यह बोझ कम कर सकती है। इसके लिए दूसरे राज्यों के कानून और प्रस्तावों का अध्ययन किया जा रहा है।
सुप्रीम कोर्ट ने श्रद्धालुओं की भावनाओं का सम्मान करते हुए उनकी सुविधा व धर्म स्थल के रखरखाव के लिए व्यवस्था करने के निर्देश दिए थे। इसी आदेश के अनुसार, यूपी सरकार ने प्रदेश में धर्म कर्म कार्यों के लिए निदेशालय बनाने के गठन का प्रस्ताव पास किया है।शुक्रवार को लखनऊ में कैबिनेट की बैठक में निदेशालय गठन के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई है। निदेशालय गठन के बाद सभी धार्मिक स्थलों के रजिस्ट्रेशन और रेगुलेशन के लिए सरकार अध्यादेश लेकर आएगी। धर्मार्थ निदेशालय बनने के बाद इसका मुख्यालय वाराणसी में होगा।
निदेशालय बनने के बाद होगा यह फायदा

निदेशालय की प्राथमिकता काशी विश्वनाथ मंदिर का संचालन और प्रबंधन होगी। इसके अलावा गाजियाबाद में कैलाश मानसरोवर भवन का निर्माण और प्रबंधन किया जाएगा। सरयू नगरी अयोध्या में भजन संध्या का प्रबंधन और प्रदेश के सभी पौराणिक स्थलों का प्रबंधन भी इस निदेशालय का प्रमुख काम होगा। इसी तरह चित्रकूट परिक्रमा स्थल और भजन संध्या स्थल का निर्माण होगा। इसके अलावा प्रदेश में मौजूद छोटे-बड़े पौराणिक स्थलों का जीर्णोद्धार और विकास कार्य करना भी निदेशालय की प्राथमिकता में होगा।
क्यों पड़ी निदेशालय की आवश्यकता

अयोध्या को नया रूप देने की तैयारी चल रही है। बनारस में काशी विश्वनाथ मंदिर विस्तारीकरण व सुंदरीकरण परियोजना पर भी काम जारी है। काशी विश्ननाथ सुंदरीकरण परियोजना शुरू होने के बाद से ही इसकी आवश्यकता महसूस होने लगी थी। मंदिर 1983 में अधिग्रहण के बाद से शासन के ही अधीन है। इसके अलावा बनारस से ही गोरखपुर और विंध्य धाम में भी तीर्थस्थल विकास-विस्तार की ज्यादातर गतिविधियां भी जुड़ी हुई हैं। ऐसे में बनारस में ही निदेशालय स्थापित करने की योजना पर काम शुरू किया गया ताकि धार्मिक परियोजनाओं का काम आसानी से हो सके।
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