वाराणसी निवासी आनंद कुमार ने बताया कि सोनभद्र के राजा बडहर की कुल 1300 बीघा जमीन थी। 1950 में बिहार के महेश्वर प्रसाद व यूपी के छह लोगों ने इस जमीन को पट्टे पर लिया था। यूपी व बिहार के 12 सदस्यों को यह जमीन पट्टे में बांटी गयी थी। किसी सदस्य को 100 तो किसी को 115 बीघा मिला था। 1952 में सारी जमीन आदर्श कोऑपरेटिव सोसाइटी के नाम थी। यह एक रजिस्टर्ड सोसाइटी थी इसलिए पट्टे पर ली गयी जमीन को बेचना संभव नहीं था। 1980 में महेश्वर प्रसाद सिन्हा की पत्नी पार्वती देवी का निधन हो गया था। इसके बाद माहेश्वर प्रसाद के हिस्से की जमीन उनकी बेटी आशा व नातिनी विनिता शर्मा को मिल गयी थी। बेटी व नातिनी दोनों के ही पति आईएएस है। बेटी व नातिनी के जमीन के हिस्से की देखरेख की जिम्मेदारी प्रधान यज्ञदत को मिली थी और वह प्रतिवर्ष खेती से होने वाली आय को परिवार के पास पहुंचाता था। लाखों में आय होने के चलते जमीन की काफी कीमती मानी जाती थी। वर्ष 2017 में विनिता शर्मा वाले हिस्से की जमीन प्रधान यज्ञदत ने खरीद ली थी। इसके बाद जमीन पर कब्जा करने के लिए प्रधान अपने साथियों के साथ पहुंचा था और वहां पर नरसंहार की घटना को अंजाम दिया है।
यह भी पढ़े:-प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र से आयेगा SMS, मिलेगी यह महत्वपूर्ण जानकारी पट्टे पर ली गयी जमीन कैसे बेची गयीपट्टे पर ली गयी जमीन के नाम से ही सोसाइटी बनी थी। पट्टे पर जब जमीन ली गयी थी तो वहां पर जंगल था उसे काट कर जमीन को खेती लायक बनाया गया था। इसके बाद से जमीन सोसाइटी के अधीन थी। सूत्रों की माने तो जमीन को बेचना संभव नहीं था लेकिन कुछ लोगों ने खतौनी में नाम चढ़वा दिया था जिसके चलते वह जमीन बिक गयी।
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