वाराणसी

पीएम नरेन्द्र मोदी के नेशनल रिसर्च फाउंडेशन का कैसे दिखेगा दम, जब इन विश्वविद्यालयों में खाली है शिक्षकों के सैकड़ों पद

महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ व सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय का हाल, आरक्षण के पेच के चलते फंसी नियुक्ति

वाराणसीJul 09, 2019 / 01:57 pm

Devesh Singh

PM Narendra Modi

वाराणसी. पीएम नरेन्द्र मोदी ने उच्च शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के लिए बजट 2019 में नेशल रिसर्च फाउंडेशन बनाने का ऐलान किया है। केन्द्र सरकार की मंशा है कि देश में होने वाले रिसर्च की गुणवत्ता बेहतर हो। इसका लाभ आम आदमी तक पहुंचे। पीएम मोदी को सपना पूरा होने में विश्वविद्यालयों में शिक्षक की कमी सबसे बड़ी समस्या बन सकती है। महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ व सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में शिक्षकों की बहुत कमी है। नयी भर्ती में आरक्षण का पेच फंस गया है इसलिए शोध छात्रों को अभी भी शिक्षक का इंतजार करना होगा।
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महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ से संबद्ध पांच जिलो के 300 से अधिक कॉलेज है जहां पर दो लाख से अधिक छात्र अध्ययन करते हैं। वाराणसी, चंदौली, सोनभद्र, भदोही आदि जिलो के कॉलेज है। महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ की बात की जाये तो यहां पर शिक्षकों के 63पद रिक्त है। शिक्षकों की कमी के चलते दो साल से परिसर में शोध की प्रवेश परीक्षा तक नहीं हुई है। विश्वविद्यालय ने शिक्षकों की कमी दूर करने के लिए फरवरी में 63पदों के लिए विज्ञापन जारी किया था। अभ्यर्थियों ने नियुक्ति के लिए आवेदन भी किया था। जिस समय विज्ञापन जारी किया गया था उस समय 13 प्वाइंट रोस्टर सिस्टम लागू थे। इस सिस्टम को लेकर आरक्षित वर्ग के छात्रों ने पीएम नरेन्द्र मोदी सरकार का विरोध किया था जिसके बाद रोस्टर में परिवर्तन हुआ था। अब नये नियम के अनुसार 200 प्वाइंट रोस्टर सिस्टम लागू हो गया है जिसके चलते नियुक्ति में आरक्षण का मानक बदल गया है और अब नये सिरे से विश्वविद्यालय को विज्ञापन जारी करना होगा।
काशी विद्यापीठ में खाली है इतने पद:- प्रोफेसर के 15, एसोसिएट प्रोफेसर:-10, अस्टिेंट प्रोफेसर के 38
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शिक्षकों की कमी से बेहाल है सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय
सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय शिक्षकों की कमी से बेहाल है। विश्वविद्यालय की संबद्धता देश के अतिरिक्त नेपाल तक में फैली है। संस्कृत व प्राच्य विद्या के संरक्षण के लिए ही संस्कृत विश्वविद्यालय की स्थापना हुई है। विश्वविद्यालय में इस समय मात्र 36 अध्यापक ही रह गये हैं। इससे समझा जा सकता है कि संस्कृत की शोध गुणवत्ता में कैसे सुधार होगा। संस्कृत विश्वविद्यालय में शिक्षकों के खाली 74 पद के लिए इसी साल जनवरी में विज्ञापन जारी किया था,लेकिन वहां भी नये रोस्टर के चलते फिर से विज्ञापन जारी करना होगा।
संस्कृत विश्वविद्यालय में शिक्षकों के खाली पद:-प्रोफेसर के 11, एसोसिएट प्रोफेसर के 6 व आस्टिेंट प्रोफेसर के 57
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अभ्यर्थियों को हो रहा आर्थिक नुकसान, नियुक्ति की लालसा में बीत सकती है उम्र
विश्वविद्यालयों में नियुक्ति नहीं होने व बार-बार विज्ञापन होने से अभ्यर्थियों को आर्थिक नुकसान हो रहा है। बेरोजगारों की संख्या तेजी से बढ़ती जा रही है। सबसे बड़ी दिक्कत उम्र को लेकर हो रही है। नियुक्ति की आस में अभ्यर्थियों की उम्र मानक से अधिक हो जायेगी तो उन्हें फिर नौकरी नहीं मिल पायेगी। केन्द्र सरकार ने उच्च शिक्षा की स्थिति सुधारने के लिए नेशनल रिसर्च फाउंडेशन का गठन करने का ऐलान तो कर दिया है लेकिन शिक्षकों के खाली पद इस अभियान में पलीता लगा सकते हैं।
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