फैजाबाद में हुआ था जन्म इस संबंध में शकील अहमद ने बताया कि उमराव जान का जन्म फैजाबाद में हुआ था। बाद में वो लखनऊ चली गई और नवाबों की महफिलों की शान बन गईं। इसी बीच अंग्रेजों के साथ लड़ रहे भारत की इस बेटी ने भी अपने स्तर पर इस लड़ाई में जान डाली। शकील ने कहा की बहुत कम ही लोग जानते है कि उमराव ने आजादी की लड़ाई भी लड़ी और लोगों को आजादी के लिए जागरूक किया।
लोग समझते काल्पनिक शकील ने कहा की उमराव जान के किरदार को लोग काल्पनिक ही मानते यदि मुजफ्फर अली ने फिल्म उमराव जान न बनाया होती और रेखा ने उमराव के रोल में जान न फूंकी होती और खय्याम साहब के संगीत ने उसे ज़िंदा करके लोगों के जेहन में न छोड़ा होता तो। शकील कहते हैं की रेखा ने उमराव को फिर जिन्दा किया पर उमराव अपने आखरी दिनों में गुमनामी में चली गईं और वाराणसी आकर दालमंडी में रहीं और मूत के बाद उनके करीबियों ने उन्हें यहां दफन कर दिया।