आवेश तिवारी वाराणसी । आजाद भारत के पुनर्निर्माण में बड़ी भूमिका निभाने वाला प्रतिष्ठित यूपी सीमेंट अब बिडला ग्रूप का होगा । 60 के दशक में रिहंद बाँध के निर्माण के दौरान पं नेहरु के प्रयासों से अस्तित्व में आये डाला, चुर्क चुनार सीमेंट फैक्ट्री की इन इकाइयों पर पिछले 11 साल से जेपी सीमेंट का हक़ था लेकिन भारी घाटे के बाद जेपी सीमेंट का बिड़ला ग्रुप वाले अल्ट्राटेक में विलय कर दिया गया। आइसीआइसीआइ की अगुआई वाला बैंकों का समूह जेपी सीमेंट का अल्ट्राटेक में विलय कराने में कामयाब रहा है। इसके चलते जेपी समूह की सीमेंट कंपनी में बैंकों के फंसे कर्ज के सबसे बड़े मामले का निपटारा हो गया है। अल्ट्राटेक ने 16,189 करोड़ रुपये में देश भर में फैली जेपी सीमेंट की इकाइयों का अधिग्रहण किया है। बैंको को मिलेगा 4000 करोड़ का लाभ गौरतलब है कि डाला ,चुर्क चुनार जेपी सीमेंट की सर्वाधिक प्रतिष्ठापरक इकाइयां रही हैं ।इस सौदे पर आइसीआइसीआइ बैंक की एमडी व सीईओ चंदा कोचर ने कहा कि देश में अब तक का सबसे बड़ा ऋण समाधान हुआ है।बिड़ला समूह की अल्ट्राटेक सीमेंट को जयप्रकाश एसोसिएट्स और जेपी सीमेंट कॉरपोरेशन के सीमेंट कारोबार की बिक्री प्रक्रिया गुरुवार को पूरी हो गई। फिलहाल यह नहीं बताया गया है कि इससे बैंकों को कितना लाभ हुआ। जो जानकारी मिल रही है उसके अनुसार बैंकों को इस बिक्री से 4,000 करोड़ रुपये मिलने की उम्मीद है। नेहरु के सपनो के कारखाने डाला चुर्क और चुनार की सीमेंट फैक्ट्रियों का निर्माण 60 के दशक में हुआ था जब रिहंद बाँध अस्तित्व में आया । पंडित नेहरु चाहते थे कि इस इलाके में मौजूद लाइमस्टोन से सीमेंट पैदा कर बाँध के निर्माण में इस्तेमाल किया जाए ,रिहंद बन जाने के बाद यहाँ का सीमेंट समूचे उत्तर भारत में डाला सीमेंट के नाम से लोकप्रिय हो गया ।लेकिन सरकार की गलत नीतियों और भ्रष्टाचार की वजह से 90 का दशक आते आते यह भारी घाटे का सबब बना दिया सपा प्रमुख मुलायम सिंह पहली बार 5 दिसंबर 1989 को सूबे के मुख्यमंत्री बने और उन्होंने इस सीमेंट फैक्ट्री को डालमिया इंडस्ट्रीज को बेचने का फैसला किया जिसका मजदूरों ने तगड़ा विरोध किया। कैसे बंद हुआ यूपी सीमेंट 2 जून 1991 को डाला में सीमेंट फैक्ट्री को बचाने के लिए आंदोलन कर रहे मजदूरों और स्थानीय लोगों पर गोली चला दी गई जिसमें नौ लोगों की हत्या हो गई।था।मुलायम सिंह यादव ने इसे डालमिया इंडस्ट्रीज को बेचने का फैसला किया था यूपीएससीसीएल 1996 में 380 करोड़ रुपये से ज्यादा के घाटे में चली गई। मामला उच्चतम न्यायालय में पहुंच गया। औद्योगिक एवं वित्तीय पुनर्निर्माण बोर्ड (बीआईएफआर) ने 2 जुलाई, 1997 को ऑफिसियल लिक्विडेटर के जरिए यूपीएससीसीएल को बेचने की राय दी सभी पक्षों को सुनने के बाद उच्च न्यायालय ने 8 दिसंबर, 1999 को कंपनी को बंद करने का आदेश दिया और कंपनी के लिक्विडेटर की नियुक्ति की। उच्च न्यायालय के इस आदेश से करीब 6000 कर्मचारी बेरोजगार हो गए। महज 359 करोड़ में खरीदी थी जेपी ने यूपी सीमेंट की इकाइयां कई असफल कदमों के बाद 8 अगस्त, 2005 को यूपीएससीसीएल की संपत्तियों की बिक्री के लिए समाचार पत्रों में विज्ञापन प्रकाशित हुआ। चार कंपनियों मेसर्स जय प्रकाश एसोसिएट्स लिमिटेड, मेसर्स डालमिया सीमेंट लिमिटेड, मेसर्स लफार्ज प्राइवेट लिमिटेड और मेसर्स ग्रासिम इंडस्ट्रीज लिमिडट की निविदाओं को 4 अक्टूबर, 2005 को खोला गया। जय प्रकाश एसोसिट्स लिमिटेड की 459 करोड़ रुपये की निविदा सबसे अधिक थी। दूसरे स्थान पर मेसर्स डालमिया सीमेंट लिमिटेड की 376 करोड़ रुपये और तीसरे स्थान पर मेसर्स लफार्ज (इंडिया) प्राइवेट लिमिटेड की 271 करोड़ रुपये की निविदाएं थीं। जेएएल की 359 करोड़ रुपये की निविदा को उच्च न्यायालय, इलाहाबाद ने 30 जनवरी, 2006 को स्वीकृति प्रदान की। जेएएल ने निविदा की 25 फीसदी धनराशि जमा की और शेष धनराशि को तीन किस्तों में भुगतान करने की पेशकश की। धनराशि का भुगतान होने पर उच्च न्यायालय, इलाहाबाद ने 11 अक्टूबर, 2006 को जेएएल के पक्ष में यूपीएससीसीएल की बिक्री की पुष्टि कर दी। बिड़ला की बढ़ेगी क्षमता गौरतलब है कि पिछले साल 31 मार्च को देश की सबसे बड़ी सीमेंट कंपनी अल्ट्राटेक ने संकटग्रस्त जेपी सीमेंट के अधिग्रहण की घोषणा की थी। इस सौदे से बिड़ला फर्म की क्षमता 9.1 करोड़ टन से अधिक हो जाएगी। जेपी के साथ सौदे से उसकी क्षमता 2.12 करोड़ टन बढ़ी है। साथ ही इससे जेपी समूह को कर्ज में कमी लाने में मदद मिलेगी। जयप्रकाश एसोसिएट्स पर 60 हजार करोड़ का कर्ज है। बैंक जेपी पर इस सौदे के लिए लगातार दबाव् डाल रहे थे