वाराणसी

तेज बहादुर यादव की तरह है एसटीएफ के पूर्व डिप्टी एसपी की कहानी, सेना की LMG पकडऩे पर छोडऩी पड़ी थी नौकरी, लड़े थे चुनाव

बाहुबली मुख्तार अंसारी से ली थी सीधी अदावत, जानिए क्या है कहानी

वाराणसीMay 04, 2019 / 09:10 pm

Devesh Singh

Tej Bahadur Yadav and former deputy sp shailendra singh

वाराणसी. बीएसएफ के बर्खास्त जवान तेज बहादुर यादव के खाने का वीडियो वायरल करने से लेकर पीएम मोदी के खिलाफ नामांकन करने की कहानी किसी से छिपी नहीं है। तेज बहादुर की माने तो उन्होंने सिस्टम के भ्रष्टाचार को सामने लाया था और नौकरी से हाथ धोना पड़ा था। तेज बहादुर यादव से मिलती जुलती कहानी पुलिस के एक जाबाज अधिकारी की भी थी। इस अधिकारी ने सेना के भगौड़े से एलएमजी बरामद की थी और बाहुबली मुख्तार अंसारी पर सनसनीखेज आरोप लगााया था जिसके बाद शासन का ऐसा दबाव पड़ा था कि पुलिस अधिकारी को अपनी नौकरी ही छोडऩी पड़ी थी। चुनाव में भी भाग्य आजमाया था लेकिन भाग्य ने साथ नहीं दिया।
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हम बात कर रहे हैं एसटीएफ के पूर्व डिप्टी एसपी शैलेन्द्र सिंह की। अपनी ईमानदारी व अपराधियों पर कहर बन कर टूटने वाले इस अधिकारी ने जीवन में बहुत उतार-चढ़ाव देखा है। डिप्टी एसपी के जिंदगी में तूफान वर्ष 2004 में आया था। जब एसटीएफ के डिप्टी एसपी शैलेन्द्र सिंह को मुखबिरों से सूचना मिली थी कि सेना का एक भगौड़ा एलएमजी लेकर भागा है और इसे बाहुबली मुख्तार अंसारी को बेचने की तैयारी है। इसके बाद शैलेन्द्र सिंह ने भगौड़े को पकडऩे का जाल बिछाया और पकड़ कर एलएमजी (लाइट मशीनगन) बरामद भी की। डिप्टी एसपी का दावा था कि एलएमजी मुख्तार अंसारी के पास से बरामद हुई थी। इसी आरोप के चलते मुख्तार अंसारी के खिलाफ पोटा के तहत मामला भी दर्ज कराया था। इसके बाद तो राजनीति में तूफान आ गया। यूपी में वर्ष 2004 में मुलायम सिंह यादव की सरकार थी। यूपी सरकार पर डिप्टी एसपी शैलेन्द्र सिंह पर मामले को दबाने के लिए दबाव डाला गया। डिप्टी एसपी जब इसके लिए तैयार नहीं हुए तो उनके उपर दबाव बढ़ता गया। अंत में निराश होकर डिप्टी एसपी शैलेन्द्र सिंह ने अपने पद से इस्तीफा दिया और प्रेस कांफ्रेंस करके मीडिया के सामने सच्चाई बतायी थी। इसके बाद एसटीएफ के पूर्व डिप्टी एसपी ने राजनीति में जाकर सिस्टम से लडऩे की तैयारी की थी।
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कांग्रेस प्रत्याशी बन चंदौली लोकसभा सीट से लड़ा था चुनाव
शैलेन्द्र सिंह की कहानी मीडिया के जरिए लोगों तक पहुंच चुकी थी। नौकरी छोडऩे के बाद चंदौली निवासी शैलेन्द्र सिंह ने कांग्रेस का दामन थामा था और वर्ष 2009 में चंदौली लोकसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ा था। शैलेन्द्र सिंह एक लाख से अधिक वोट पाने के बाद भी चुनाव हार गये थे। इसके बाद उन्होंने कांग्रेस से वर्ष 2012 में हुए विधानसभा में सैयदराजा सीट से भी चुनाव लड़ा था लेकिन किस्मत ने उनका साथ नहीं दिया था और फिर से चुनाव हार गये थे। वर्ष 2014 में शैलेन्द्र सिंह ने बीजेपी का दामन थाम लिया था और अब बीजेपी में ही है।
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एलएमजी प्रकरण में कोर्ट से मुख्तार अंसारी हो गये थे बरी
एलएमजी प्रकरण में कोर्ट ने बाहुबली मुख्तार अंसारी को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया था। राजनीति में आने के बाद शैलेन्द्र सिंह पर राजनीतिक मुकदमे भी दर्ज हुए थे। कभी ईमानदारी व अपराधियों पर सख्ती करने वाला पुलिस अधिकारी अभी भी अपने नये मुकाम के लिए संघर्ष कर रहा है।
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