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रोगजार की कमी के चलते परिसर की खाली रह जाती है सीटे
सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय की स्थापना प्राच्य विद्या के संरक्षण व प्रसार के लिए की गयी है। देववाणी में रोजगार की कमी के चलते छात्रों का परिसर से मोह भंग होने लगा है। विश्वविद्यालय के अधिकांश विभागों की सीट खाली रह जाती है। यदि संस्कृत के छात्रों को रोजगार मिलेगा तो अध्ययन करने वालों की संख्या भी बढ़ेगी। ऐसे में कुलपतियों के छात्रों को रोजगार से जोडऩे के कदम का बड़ा फायदा हो सकता है।
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