सरकार डिक्टेर बनती जा रही
शंकराचार्य ने कहा कि लोकतंत्र में सरकार जनता की प्रतिनिधि होती है। जनता की मांग को पूरा करना सरकार का दायित्व है। लेकिन ये सरकार जनप्रतिनिधि की भूमिका नहीं निभा रही है। यह डिक्टेर बनती जा रही है। उसे जनता की भावनाओं से कोई सरोकार नहीं। उन्होंने सवाल किया कि क्या जनता ने नोटबंदी मांगा था, लेकिन नोटबंदी लागू हुई। कहा कि 3000 करोड़ रुपये खर्च कर गुजरात में सरदार बल्लभ भाई पटेल की प्रतिमा बनी क्या उतने पैसे से अयोध्या में राम मंदिर नहीं बन सकता था। अब वहीं अयोध्या में होने जा रहा है, मंदिर के पैसे का उपयोग सरयू किनारे राम का पुतला बनाने पर खर्च कर देंगे।
शंकराचार्य ने कहा कि लोकतंत्र में सरकार जनता की प्रतिनिधि होती है। जनता की मांग को पूरा करना सरकार का दायित्व है। लेकिन ये सरकार जनप्रतिनिधि की भूमिका नहीं निभा रही है। यह डिक्टेर बनती जा रही है। उसे जनता की भावनाओं से कोई सरोकार नहीं। उन्होंने सवाल किया कि क्या जनता ने नोटबंदी मांगा था, लेकिन नोटबंदी लागू हुई। कहा कि 3000 करोड़ रुपये खर्च कर गुजरात में सरदार बल्लभ भाई पटेल की प्रतिमा बनी क्या उतने पैसे से अयोध्या में राम मंदिर नहीं बन सकता था। अब वहीं अयोध्या में होने जा रहा है, मंदिर के पैसे का उपयोग सरयू किनारे राम का पुतला बनाने पर खर्च कर देंगे।
जनता परेशान, सरकार का ध्यान नहीं
उन्होंने कहा जनाकांक्षा को पूरा करने पर इस सरकार का ध्यान नहीं। पूरा देश महंगाई से परेशान है। किसान परेशान हैं। कश्मीर में सैनिक मारे जा रहे है। लेकिन इस तरफ सरकार का कोई ध्यान नहीं। उन्होंने परोक्ष रूप से प्रधानमंत्री पर कटाक्ष करते हुए कहा कि सरकार का कोई प्रतिनिधि कैसे अपनी ही करेंसी को कागज का टुकड़ा कह सकता है। उन्होंने सरकार को जनतांत्रिक तरीके से जनहित में जनता की भावनाओं और उसकी मांग के अनुरूप काम करने की सलाह भी दी।
उन्होंने कहा जनाकांक्षा को पूरा करने पर इस सरकार का ध्यान नहीं। पूरा देश महंगाई से परेशान है। किसान परेशान हैं। कश्मीर में सैनिक मारे जा रहे है। लेकिन इस तरफ सरकार का कोई ध्यान नहीं। उन्होंने परोक्ष रूप से प्रधानमंत्री पर कटाक्ष करते हुए कहा कि सरकार का कोई प्रतिनिधि कैसे अपनी ही करेंसी को कागज का टुकड़ा कह सकता है। उन्होंने सरकार को जनतांत्रिक तरीके से जनहित में जनता की भावनाओं और उसकी मांग के अनुरूप काम करने की सलाह भी दी।