दारनगर निवासी राजू यादव के पुत्र अमन यादव उर्फ कबीर की कहानी बेहद खास है। वर्ष 2007 में अमन बनारस के अग्रसेन महाजनी में कक्षा सात में पढ़ता था।23 नवम्बर 2007 को बनारस के कचहरी परिसर में बम ब्लास्ट हो गया था। इसी दिन अमन इंटरवल में ही स्कूल से भाग कर मालवीय मार्केट पर पहुंचा था यही पर एक न्यूज चैनल में अमन को बम विस्फोट होने की जानकारी मिली। इसके बाद वह सीधे शिवप्रसाद गुप्त मंडलीय अस्पताल पहुंचा था, जहां पर विस्फोट में घायल हुए लोगों को इलाज के लिए लाया गया था। अमन भी घायलों की मदद करने लगा। पिता ने न्यूज चैनल में अमन को यह सब करते हुए देख लिया। इसके बाद जब वह घर पहुंचा तो पिता ने समझाया कि अभी पढऩे की उम्र है इसलिए पढ़ाई पर ध्यान दे। दूसरे दिन अमन फिर अस्पताल जाकर घायलों का हाल लेने लगा था किसी ने इस बात की शिकायत उसके पिता से कर दी। इसके बाद अमन को घर लेकर पिता पहुंचे और जंजीर से बांध कर पिटाई की। पिता को डर था कि उनका बच्चा गलत संगत में पड़ सकता है। जंजीर से उल्टा लटका कर पिटाई करने के बाद पिता ने शाम को अमन को मलाई खिलाते हुए कहा कि वह पढ़ाई पर ध्यान दे। अमन को दूसरों की मदद करके इतनी खुशी मिल रही थी कि वह सारी जंजीर को तोड़ते हुए समाजसेवा में लग गया। 12 साल तक हजारों गरीब, बेसहारा व लावारिस मरीजों की सेवा करने वाला अमन अब कबीर बन चुका है।
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खुद के घर को बना दिया कबीर कुटिया
लावारिस मरीजों की सेवा करने के साथ ही अमन भटके हुए लोगों को उनके परिजनों से मिलाने में भी जुटा रहता है। सोशल मीडिया के सहारे वह भटके हुए लोगों के परिजनों तक पहुंचता है। अमन के पास पहले एक समस्या थी कि भटके हुए लोगों को कहा रखे। घर के ही एक कमरे को कबीर कुटिया बना दी है, जिन भटके हुए लोगों के परिजन मिल जाते हैं उन्हें अमन इसी कबीर कुटिया में रखता है और जब परिजन आ जाते हैं तो उनके साथ भेज देता है। अमन अपने खर्चे पर लोगों को खाना तक खिलाता है कई बार उसे भटके हुए लोगों के लिए दूसरों से कपड़े व चप्पल तक मंगाता है। अमन का कहना है कि मैं अपने जीवन को तभी सफल मान सकता हूं जब दूसरों की सेवा करता हूं। मुझे किसी चीज की लालच नहीं है। दूसरों के लिए मेरा समर्पण ही मेरी सफलता है। लावरिस मरीजों की सेवा करने पर लोगों से इतना प्यार मिलता है कि इसे देख कर दूसरे लोग भी लावारिस मरीजों की सेवा करने में जुट गये हैं यह देख कर मुझे बहुत खुशी मिलती है।
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लावारिस मरीजों की सेवा करने के साथ ही अमन भटके हुए लोगों को उनके परिजनों से मिलाने में भी जुटा रहता है। सोशल मीडिया के सहारे वह भटके हुए लोगों के परिजनों तक पहुंचता है। अमन के पास पहले एक समस्या थी कि भटके हुए लोगों को कहा रखे। घर के ही एक कमरे को कबीर कुटिया बना दी है, जिन भटके हुए लोगों के परिजन मिल जाते हैं उन्हें अमन इसी कबीर कुटिया में रखता है और जब परिजन आ जाते हैं तो उनके साथ भेज देता है। अमन अपने खर्चे पर लोगों को खाना तक खिलाता है कई बार उसे भटके हुए लोगों के लिए दूसरों से कपड़े व चप्पल तक मंगाता है। अमन का कहना है कि मैं अपने जीवन को तभी सफल मान सकता हूं जब दूसरों की सेवा करता हूं। मुझे किसी चीज की लालच नहीं है। दूसरों के लिए मेरा समर्पण ही मेरी सफलता है। लावरिस मरीजों की सेवा करने पर लोगों से इतना प्यार मिलता है कि इसे देख कर दूसरे लोग भी लावारिस मरीजों की सेवा करने में जुट गये हैं यह देख कर मुझे बहुत खुशी मिलती है।
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