शिवपाल यादव की पार्टी ने लोकसभा चुनाव 2019 लड़ा था लेकिन किसी प्रत्याशी को जीत नहीं मिली थी। इसके बाद भी शिवपाल यादव निराश नहीं हुए हैं और संगठन को मजबूत करने में जुट गये हैं। शिवपाल यादव लगातार पूर्वांचल का दौरा कर रहे हैं जिला मुख्यालय पर रुकने के साथ कार्यकर्ताओं से वार्ता करने में जुटे हैं। इससे साफ हो जाता है कि शिवपाल यादव अपनी पार्टी का वजूद बनाये रखना चाहता है इसलिए ताकत बढ़ाने में जुटे हैं। शिवपाल यादव की पार्टी की जितनी ताकत बढ़ेगी। उतना ही सपा को नुकसान उठाना पड़ सकता है। यदि सपा व शिवपाल यादव की पार्टी में विलय हो जाता है तो भी शिवपाल यादव की पार्टी की ताकत बढऩा तय है।
यह भी पढ़े:-Dev Deepawali 2019 के लिए घाट पर बिछेगी रेड कार्पेट, तैनात होंगे मजिस्ट्रेट
यह भी पढ़े:-Dev Deepawali 2019 के लिए घाट पर बिछेगी रेड कार्पेट, तैनात होंगे मजिस्ट्रेट
यूपी का समीकरण बदलना चाहते हैं शिवपाल यादव
पीएम नरेन्द्र मोदी व अमित शाह की जोड़ी ने यूपी बीजेपी में नयी जान डाल दी है। बीजेपी सत्ता में आ चुकी है और सीएम योगी आदित्यनाथ की सरकार चल रही है। बीजेपी के मजबूत होने से मायावती की बसपा व अखिलेश यादव की सपा कमजोर हुई है। राहुल गांधी व प्रियंका गांधी भी यूपी में कांग्रेस को मजबूत करने में जुटे हुए हैं। इन परिस्थितियों में शिवपाल यादव खुद को मजबूत करके प्रदेश का सियासी समीकरण बदलना चाहते हैं। शिवपाल यादव की पार्टी का सपा में विलय होता है या फिर गठबंधन होगा। यह तो आने वाले समय ही पता चलेगा। इतना अवश्य है कि सपा के बड़े नेताओं ने जनता से दूरी बनायी हुई है और शिवपाल यादव लगातार भ्रमण कर पार्टी की ताकत बढ़ाने में जुटे हैं। वैसे में इतिहास को देखा जाये तो शिवपाल यादव की छवि संगठन खड़ा करने वाले नेता के रुप में देखी जाती थी और इसी छवि के फिर से दिखाने में शिवपाल यादव जुट गये हैं यदि उनकी पार्टी की ताकत बढ़ती है तो इसका सबसे अधिक नुकसान सपा को ही उठाना पड़ेगा।
यह भी पढ़े:-जिसने किया सबसे अधिक खुलासा, उसी का हो गया तबादला
पीएम नरेन्द्र मोदी व अमित शाह की जोड़ी ने यूपी बीजेपी में नयी जान डाल दी है। बीजेपी सत्ता में आ चुकी है और सीएम योगी आदित्यनाथ की सरकार चल रही है। बीजेपी के मजबूत होने से मायावती की बसपा व अखिलेश यादव की सपा कमजोर हुई है। राहुल गांधी व प्रियंका गांधी भी यूपी में कांग्रेस को मजबूत करने में जुटे हुए हैं। इन परिस्थितियों में शिवपाल यादव खुद को मजबूत करके प्रदेश का सियासी समीकरण बदलना चाहते हैं। शिवपाल यादव की पार्टी का सपा में विलय होता है या फिर गठबंधन होगा। यह तो आने वाले समय ही पता चलेगा। इतना अवश्य है कि सपा के बड़े नेताओं ने जनता से दूरी बनायी हुई है और शिवपाल यादव लगातार भ्रमण कर पार्टी की ताकत बढ़ाने में जुटे हैं। वैसे में इतिहास को देखा जाये तो शिवपाल यादव की छवि संगठन खड़ा करने वाले नेता के रुप में देखी जाती थी और इसी छवि के फिर से दिखाने में शिवपाल यादव जुट गये हैं यदि उनकी पार्टी की ताकत बढ़ती है तो इसका सबसे अधिक नुकसान सपा को ही उठाना पड़ेगा।
यह भी पढ़े:-जिसने किया सबसे अधिक खुलासा, उसी का हो गया तबादला