उन्होंने सबसे पहले पूजा की विधि बताई। उन्होंने कहा, “हम भगवती को माला, पुष्प, धूप, दीप, और घी अर्पण करते हैं। विभिन्न दिनों में अलग-अलग पूजा विधियों का पालन करने और विभिन्न वस्त्र धारण करने की परंपरा कुछ क्षेत्रों में प्रचलित है। यह किसी शास्त्रीय नियम के तहत नहीं है, बल्कि लोक परंपरा के अनुसार है। अलग-अलग विधियों से पूजा करने का विचार और विभिन्न सामग्री का भोग लगाने का निर्णय कुछ लोगों ने स्वेच्छा से लिया है।”
‘उपवास के दौरान अन्य खाद्य पदार्थों का सेवन न करें’
उन्होंने आगे कहा, “उपवास की बात करें तो यह भी एक महत्वपूर्ण विषय है। उपवास के दौरान हमें अन्य खाद्य पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए। फल और जल ग्रहण करने का विधान होता है। कुछ लोग केवल जल का सेवन करते हैं, जबकि अन्य फल या सिंघाड़ा और आलू जैसी चीजें ग्रहण करते हैं। उपवास करते समय यह ध्यान रखना चाहिए कि यह हमारे शरीर की क्षमता के अनुसार हो।” यह भी पढ़ें
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‘हर देवी की उपासना का विधान अलग-अलग होता है’
इसके बाद नवरात्रि के दौरान नौ देवियों के स्वरूपों के महत्व को बताते हुए उन्होंने कहा, “प्रत्येक दिन का अपना विशेष महत्व होता है। भगवती के पहले स्वरूप शैलपुत्री से लेकर अंतिम स्वरूप सिद्धिदात्री तक, हर देवी की उपासना का विधान अलग-अलग होता है। इन देवियों के पूजन में हम कलश पर उनका आह्वान करते हैं और विभिन्न पुष्पों, फलों और मिष्ठानों का भोग अर्पित करते हैं। कुछ लोग नवरात्रि में प्रतिदिन हवन भी करते हैं, जबकि कुछ केवल नवमी को हवन करते हैं।”‘विजयादशमी के दिन करें शमी के वृक्ष की पूजा’
उन्होंने आगे कहा, “विजयादशमी का पर्व हिंदू शास्त्रों में महत्वपूर्ण माना जाता है। यह पर्व अधर्म पर धर्म की विजय का प्रतीक है, और भगवान राम ने इसी दिन रावण का वध किया था। विजयादशमी के दिन क्षत्रियों द्वारा विशेष रूप से भगवती और शस्त्रों की पूजा की जाती है। इस दिन शमी के वृक्ष की पूजा भी आवश्यक है और दीपक जलाने का विधान है। नवरात्रि के दौरान उपवास रखने वाले लोग भी ऊर्जावान रह सकते हैं। इसका कारण है कि उनका आहार और दिनचर्या संयमित होता है। देव कृपा से युक्त व्यक्ति अपनी इंद्रियों पर नियंत्रण रखता है। ऐसे व्यक्तियों में जल का केवल सेवन करने के बाद भी ऊर्जा बनी रहती है और चेहरे पर तेज होता है।” यह भी पढ़ें