विश्वविद्यालय के वीसी प्रो.राजाराम शुक्ल ने बताया कि परिसर में वर्षो बाद दीक्षांत समारोह ऐतिहासिक मुख्य भवन में आयोजित किया गया है। इसी मुख्य भवन में हमारे ऋषि मुनि व विद्वान संस्कृत की उपासना करते थे। छात्रों को इनकी ऊर्जा मिल सके। इसके लिए मुख्य भवन में समारोह का आयोजन किया गया है। वीसी ने कहा कि तीन दशक के बाद महामहोपाध्याय उपाधि संत एंव तपस्वी स्वामी शरणानंद जी को दी जायेगी। डीलिट् (वाचस्पति) की उपाधि संस्कृत भारती के संस्थापक पद्मश्री चमूकृष्ण शास्त्री जी को प्रदान की जायेगी। उन्होंने बताया कि समारोह में 32 छात्र व छात्राओं को कुल 57 गोल्ड मेडल मिलेंगे। इसके अतिरिक्त 22726 छात्र व छात्राओं को उपाधि मिलेगी। वीसी ने कहा कि यह सभी के लिए गर्व की बात है कि प्राच्य विद्या से छात्राओं को तेजी से जुड़ाव हो रहा है और स्नातक में 47.15 छात्र व 52.85 प्रतिशत छात्राओं को डिग्री मिलेगी। गोल्ड मेडल पाने में छात्रों की संख्या 49 व छात्राओं की संख्या आठ है। इसके अतिरिक्त २६ शोध छात्राओं को भी दीक्षांत में उपाधि मिलेगी। पत्रकार वार्ता में प्रो.शैलेश कुमार मिश्र व पीआरओ शशीन्द्र मिश्र भी उपास्थित थे।
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स्वामी अद्भुतबल्लभदास को मिलेंगे सबसे अधिक 10 मेडल
दीक्षांत समारोह में सबसे अधिक 10 मेडल स्वामी अद्भुतबल्लभदास को मिलेंगे। इसके बाद हरिओम शर्मा को पांच, राहुल कुमार पांडेय को चार, श्रीप्रकाश पांडेय को तीन, श्रीमती टीका देवी को दो मेडल मिलेंगे।
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दीक्षांत समारोह में सबसे अधिक 10 मेडल स्वामी अद्भुतबल्लभदास को मिलेंगे। इसके बाद हरिओम शर्मा को पांच, राहुल कुमार पांडेय को चार, श्रीप्रकाश पांडेय को तीन, श्रीमती टीका देवी को दो मेडल मिलेंगे।
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