सर सुन्दर लाल अस्पताल के बाल शल्य रोग विभाग में आरबीएसके योजना के तहत यह सुविधा दी गयी है। प्रदेश सबस पहले यह योजना मेडिकल कॉलेज झंासी में उपलब्ध करायी गयी थी अब बीएचयू दूसरा सेंटर बना है। विभागाध्यक्ष प्रो.सरिता चौधरी ने बताया कि बच्चों में यह बीमारी जन्मजात होती है। ऐसी बीमारी होने का कोई खास कारण नहीं होता है। आम तौर पर माना जाता है कि गर्भावस्था के दौरान आयरन की कमी होने से बच्चे में न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट हो सकता है। उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर भारत में यह बीमारी एक हजार बच्चों में पांच या छह को हो सकती है। नवजात के जन्म के छह माह के अंदर ही इलाज हो जाने से बच्चे का पूरी तरह से ठीक होने की संभावना बहुत बढ़ जाती है। यदि इलाज में लापरवाही बरती गयी तो तीन साल होते-होते बच्चा की मौत भी हो सकती है। आरबीएसके के डीईआईसी मैनेजर डा.अभिषेक त्रिपाठी ने बताया कि बीएचयू में न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट मुख्य रुप से दो कारणों का माना जाता है। पहला बच्चे के दिमाग मे पानी भरना व दूसरा रीड़ की हड्डी में फोड़ा होना। बाहर इन बीमारियों का इलाज कराया जाये तो अस्सी हजार से एक लाख रुपये तक का खर्च होता है लेकिन आरएसबीके योजना के तहत बीएचयू में यह इलाज नि:शुल्क किया जा रहा है। अभी तक 30 बच्चों का सफल इलाज हो चुका है। बनारस के अतिरिक्त पूर्वांचल के अन्य जिलों से भी बच्चों ने यहां पर इलाज कराया है।
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