वाराणसी. चांद दिखने के साथ ही बुधवार से रमजान मुबारक 2021 (Ramadan mubarak 2021) का आगाज हो गया। इस्लाम में रमजान की बड़ी अहमियत है और यह इस्लाम के पांच स्तंभों में से एक है। रोजा हर बालिग मुसलमान पर फर्ज है। रमजान के रोजे बड़ी अजमत वाले हैं। रमजान में रोजे रखने के साथ नमाज और तरावीह वगैरह इबादत भी जरूरी है। पर बदनसीबी है कि एक बीते साल की तरह इस साल भी रमजान कोरोना वायरस संकट के बीच आया है। इसलिये जरूरी है कि रमजान की इबादत के साथ सुरक्षा का खयाल बेहद जरूरी है। लगातार दूसरे साल महामारी के मुश्किल वक्त में रमजान आया है। ऐसे में गाइड लाइंस का पालन (Follow COVID 19 Guidelines during Ramadan) करते हुए खुद का भी खयाल रखें और अपनों का भी।
रमजान क्यों मनाते हैं?, रोजा क्यों रखते हैं?, रमजान का क्या अर्थ है?, रमजान कितने दिन का है?, रमजान की शुरुआत कैसे हुई? इन सब सवालों के जवाब पाने के लिये पढ़ें– Ramadan 2021: रमजान का इतिहास क्या है? जानिये रोजे क्यों रखे जाते हैं, क्या है इसका महत्व
उलेमा बताते हैं कि पैगंबर ए इस्लाम ने भी फरमाया है कि जहां बीमारी या वबा (महामारी) फैली हो वहां दूसरे लोग न जाएं और वहां के लोग भी दूसरी जगह न जाएं। भी वर्तमान समय में कोरोना के दौरान भी हालात बिल्कुल वैसे ही हैं। ऐसे में जरूरी है कि रमजान के दौरान मस्जिदों में भीड़ इकट्ठा करने से बचें। घरों में इबादत करें। बिना जरूरत के घर से न निकलें और बाजारों में न भीड़ लगाएं और न ही भीड़ का हिस्सा बनें। कोरोना से बचने के लिये ये बेहद जरूरी है।
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रमजान में सामूहिक इफ्तार बड़े पैमाने पर होता है। पर कोरोना काल में इससे संक्रमण फैलने का खतरा बेहद बढ़ जाता है। ऐसे में इस तरह के आयोजनों से परहेज करना ही सही है। परिवार के सदस्यों के साथ रोजा इफ्तार करें और कहीं जाने से बचें। इबादतों के साथ लोगों की जान बचाना भी जरूरी है।
पिछले साल भी रमजान में इबादतें घरों पर ही हुई थीं। इस साल भी सूरत वैसी ही है, इसलिये सरकार की ओर से भी बचाव के लिये कुछ गाइडलाइन जारी की गई है। किसी भी धर्मस्थल में एक साथ पांच से ज्यादा लोगों के इकट्ठा होने पर रोक लगाई गई है। तरावीह की नमाज भी घरों पर ह अदा की जा रही है। जरूरी है कि गाइडलाइन का पालन करते हुए सुरक्षित तरीके से रमजान बिताएं।
इन बातों का रखें खयाल