इस रामलीला की तैयारी तीन महीने पहले से शुरू होती है। पात्रों को रामलीला पाठ की शिक्षा दी जाती है, और जब मंचन शुरू होता है, तो ऐसा लगता है कि यह दृश्य अयोध्या नगरी का है।
वरिष्ठ अधीक्षक राधा कृष्ण मिश्र ने इस रामलीला के बारे में जानकारी देते हुए आईएएनएस को बताया, “रामलीला तो अक्सर होती है, लेकिन एक अनोखी रामलीला इस बार केंद्रीय जेल में आयोजित की जा रही है। यह रामलीला गोस्वामी तुलसीदास और वाल्मीकि रामायण को ध्यान में रखते हुए तैयार की गई है। इसके लिए जेल के चिकित्सक डॉ. अक्षय सिंह ने अलग-अलग पात्रों के संवादों को बड़ी मेहनत से तैयार किया है। इसकी तैयारी लगभग डेढ़ से दो महीने पहले शुरू होती है ताकि मंचन के समय यह प्रभावी और आकर्षक हो सके।”
जेल में तकनीकी कौशल पर भी दिया जाता है ध्यान
उन्होंने आगे कहा, “उत्तर प्रदेश सरकार और जिला प्रशासन का उद्देश्य है कि इस तरह के कार्यक्रमों के जरिए बंदियों का चारित्रिक उत्थान, आध्यात्मिक और तकनीकी विकास किया जाए। जेल में तकनीकी कौशल पर भी ध्यान दिया जाता है। यहां पर विभिन्न एनजीओ के सहयोग से प्रशिक्षण कार्यक्रम भी आयोजित होते हैं। इस रामलीला में सभी भूमिकाएं बंदियों द्वारा ही निभाई जाती हैं, और इसके लिए उन्हें समय दिया जाता है। यह भी पढ़ें