बनारस के एक फर्नीचर व्यवसायी ने 9 जून 2018 को गायत्री प्रजापति पर जेल से फोन कर रंगदारी मांगने का आरोप लगाया था। व्यवसायी ने दशाश्वमेध पुलिस को इसकी शिकायत की थी लेकिन पुलिस ने मामला दर्ज नहीं किया था बाद में डीजीपी के यहां पर शिकायत करने पर पुलिस को पूर्व मंत्री गायत्री प्रजापति के खिलाफ 30 जून 2018 को मुकदमा दर्ज करना पड़ा था। पुलिस की आरंभिक जांच में यह बात साबित हुई थी कि व्यापारी को लखनऊ जेल से फोन आया था। जिस मोबाइल नम्बर से व्यापारी को फोन किया गया था उसे बिलकुम्भा गांव, लखनऊ निवासी मान सिंह ने जेल में तैनात एक कर्मचारी की मदद से नष्ट करा दिया था। इस मामले में मान सिंह को गिरफ्तार भी किया गया था। इसी बीच दशाश्वमेध थाने में प्रतापगढ़ से आये इंस्पेक्टर बालकृष्ण शुक्ला की तैनाती हो जाती है। मामले की जांच बालकृष्ण शुक्ला करने लगते हैं। तत्कालीन इंस्पेक्टर ने जांच के दौरान पूरे मामले से पूर्व मंत्री गायत्री प्रजापति का नाम हटा दिया था। दशाश्वमेध क्षेत्राधिकारी अभिनव यादव के पास जब नाम हटाने की फाइल पहुंची तो उन्होंने आपत्ति जतायी थी और चार्जशीट को वापस कर दिया था। यही मामला जब मीडिया की सुर्खियों में आया तो पुलिस प्रशासन में हड़कंप मच गया था जिस मामले में गायत्री प्रजापति को आरोपी बनाया जाना था पुलिस ने उसी मामले में उन्हें क्लीन चिट दे दी थी। एसएसपी ने इस मामले की जांच करायी जो तत्कालीन दशाश्वमेध प्रभारी बालकृष्ण शुक्ला दोषी पाये गये हैं और उनके खिलाफ अब आगे की कार्रवाई की जायेगी।
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