प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि हमने वादा किया था कि स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश के अनुकूल लागत का डेढ़ गुणा एमएसपी देंगे। यह वादा सिर्फ कागज़ों पर ही पूरा नहीं किया गया, बल्कि किसानों के बैंक खाते तक पहुंचाया है। आंकड़ों का जिक्र करते हुए कहा कि 2014 से पहले के 5 सालों में गेहूं की खरीद पर डेढ़ लाख करोड़ रुपए के आसपास ही किसानों को मिला। वहीं हमारे 5 सालों में 3 लाख करोड़ रुपए गेहूं किसानों को मिल चुका है यानि लगभग 2 गुणा। ऐसी ही ढाई गुना गेहूं की और 75 गुणा दालों की खरीदी की गई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि हमने कहा था कि हम यूरिया की कालाबाज़ारी रोकेंगे और किसान को पर्याप्त यूरिया देंगे। बीते 6 साल में यूरिया की कमी नहीं होने दी। यहां तक कि लॉकडाउन तक में जब हर गतिविधि बंद थी, तब भी दिक्कत नहीं आने दी गई।
नये कृषि सुधारों से किसानों को मिला संरक्षण
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि नए कृषि सुधारों से किसानों को नए विकल्प और नए कानूनी संरक्षण दिए गए हैं। पहले मंडी के बाहर हुए लेनदेन ही गैरकानूनी थे। अब छोटा किसान भी, मंडी से बाहर हुए हर सौदे को लेकर कानूनी कार्यवाही कर सकता है। किसान को अब नए विकल्प भी मिले हैं और धोखे से कानूनी संरक्षण भी मिला है। उन्होंने कहा कि सरकारें नीतियां बनाती हैं, कानून-कायदे बनाती हैं। नीतियों और कानूनों को समर्थन भी मिलता है तो कुछ सवाल भी स्वभाविक ही है। ये लोकतंत्र का हिस्सा है और भारत में ये जीवंत परंपरा रही है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि नए कृषि सुधारों से किसानों को नए विकल्प और नए कानूनी संरक्षण दिए गए हैं। पहले मंडी के बाहर हुए लेनदेन ही गैरकानूनी थे। अब छोटा किसान भी, मंडी से बाहर हुए हर सौदे को लेकर कानूनी कार्यवाही कर सकता है। किसान को अब नए विकल्प भी मिले हैं और धोखे से कानूनी संरक्षण भी मिला है। उन्होंने कहा कि सरकारें नीतियां बनाती हैं, कानून-कायदे बनाती हैं। नीतियों और कानूनों को समर्थन भी मिलता है तो कुछ सवाल भी स्वभाविक ही है। ये लोकतंत्र का हिस्सा है और भारत में ये जीवंत परंपरा रही है।
अब विरोध का आधार फैसला नहीं बल्कि आशंका
प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले कुछ समय से एक अलग ही ट्रेंड देश में देखने को मिल रहा है। पहले होता ये था कि सरकार का कोई फैसला अगर किसी को पसंद नहीं आता था तो उसका विरोध होता था। लेकिन अब विरोध का आधार फैसला नहीं बल्कि आशंकाओं को बनाया जा रहा है। पीएम मोदी ने कहा कि पहले किसानों के नाम पर बड़ी-बड़ी योजनाएं घोषित होती थीं, लेकिन वो खुद मानते थे कि 1 रुपए में से सिर्फ 15 पैसे ही किसान तक पहुंचते थे। यानी तब योजनाओं के नाम पर छल हो रहा था। लेकिन, अब पाई-पाई किसानों के खाते में पहुंच रही है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले कुछ समय से एक अलग ही ट्रेंड देश में देखने को मिल रहा है। पहले होता ये था कि सरकार का कोई फैसला अगर किसी को पसंद नहीं आता था तो उसका विरोध होता था। लेकिन अब विरोध का आधार फैसला नहीं बल्कि आशंकाओं को बनाया जा रहा है। पीएम मोदी ने कहा कि पहले किसानों के नाम पर बड़ी-बड़ी योजनाएं घोषित होती थीं, लेकिन वो खुद मानते थे कि 1 रुपए में से सिर्फ 15 पैसे ही किसान तक पहुंचते थे। यानी तब योजनाओं के नाम पर छल हो रहा था। लेकिन, अब पाई-पाई किसानों के खाते में पहुंच रही है।