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प्रधानमंत्री ने कहा कि काशी में महादेव की इच्छा के बिना कुछ भी नहीं होता। यह जो कुछ भी हुआ है, वो सब बाबा की दया है। बाबा की इच्छा के बिना पत्ता भी नहीं हिलता। बाबा के साथ अगर किसी और का योगदान है तो वो है काशी के वासियों का। क्योंकि यहां तो सिर्फ एक ही सरकार है वो भी बाबा की। मोदी ने कहा कि आतातायियों ने इस नगरी पर आक्रमण किए, इसे ध्वस्त करने के प्रयास किए। औरंगजेब के अत्याचार, उसके आतंक का इतिहास साक्षी है। जिसने सभ्यता को तलवार के बल पर बदलने की कोशिश की, जिसने संस्कृति को कट्टरता से कुचलने की कोशिश की। लेकिन इस देश की मिट्टी बाकी दुनिया से कुछ अलग है। कहा कि यहां अगर औरंगजेब आता है तो शिवाजी भी उठ खड़े होते हैं। अगर कोई सालार मसूद इधर बढ़ता है तो राजा सुहेलदेव जैसे वीर योद्धा उसे हमारी एकता की ताकत का अहसास करा देते हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारे कारीगर, हमारे सिविल इंजीनयरिंग से जुड़े लोग, प्रशासन, वो परिवार जिनके यहां घर थे सभी का मैं अभिनंदन करता हूं। इन सबके साथ यूपी सरकार, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का भी अभिनंदन करता हूं, जिन्होंने काशी विश्वनाथ धाम परियोजना को पूरा करने के लिए दिन-रात एक कर दिया।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि इस परियोजना के पूरा होने पर हर कोई आसानी से बाबा के दर्शन कर सकेगा। हमारे दिव्यांग भाई बहनों और बुजर्गों को अब दिक्कतों को सामना नहीं करना पड़ेगा।
कहा कि साथियों हमारे पुराणों में कहा गया है कि जैसे ही कोई काशी में प्रवेश करता है सभी पापों से मुक्त हो जाता है। आज बनारस में ऐसा लग रहा है कि सभी देवी देवता बाबा के धाम में आए हुए हैं। साथियों आज भगवान शिव का प्रिय दिन सोमवार है। आज की तिथि एक नया इतिहास रच रही है।
उन्होंने कहा कि देश वासियों के लिए काशी के कोतवाल से आशीर्वाद लेकर आया हूं। उन्होंने देश दुनिया के उन लोगों का आभार व्यक्त किया, जोकि दूर होकर भी इस पल के साक्षी बन रहे हैं। साथियों हमारे पुराणों में कहा गया है कि जैसे ही कोई काशी में प्रवेश करता है सभी पापों से मुक्त हो जाता है।
मोदी ने कहा कि पहले यहां जो मंदिर क्षेत्र केवल तीन हजार वर्ग फीट में था, वो अब करीब 5 लाख वर्ग फीट का हो गया है। अब मंदिर और मंदिर परिसर में 50 से 75 हजार श्रद्धालु आ सकते हैं, यानि पहले मां गंगा के दर्शन-स्नान और वहां से सीधे विश्वनाथ धाम।
उन्होंने कहा कि विश्वनाथ धाम का नया भवन भारत की प्राचीनता, परंपरा और गतिशीलता का प्रतीक है। यहां अब जब आएंगे तो केवल आस्था के ही दर्शन नहीं होंगे बल्कि अतीत के गौरव का भी अहसास होगा। कैसे प्राचीनता और नवीनता एक साथ सजीव हो रही हैं, यह आपको यहां पता चलेगा।
इससे पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी वाराणसी के कोतवाल काल भैरव की पूजा-अर्चना के बाद क्रूज पर सवार होकर ललिता घाट पहुंचे। वहां पर गंगा नदी में स्नान के बाद वहां से जल लेकर नव्य श्री काशी विश्वनाथ धाम पहुंचे। कॉरिडोर से गुजरते वक्त डमरू दल ने उनका डमरू बजाकर स्वागत किया। इसके बाद प्रधानमंत्री पूजन के लिए बैठ गए। मंत्रोचारण के साथ ही केसर और गंगाजल से अभिषेक किया गया।
काशी विश्वनाथ का जलाभिषेक करने के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने श्रम साधकों को सम्मान किया। इसके बाद प्रधानमंत्री ने काशी विश्वनाथ धाम का लोकार्पण किया। काशी विश्वनाथ का जलाभिषेक करने के लिए खुद प्रधानमंत्री मोदी गंगा से जल लेने गए। इस दौरान उन्होंने गंगा स्नान किया और सूर्य को जल भी अर्पित किया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गंगा में डुबकी लगाकर, सूर्य को अघ्र्य दिया।