सुमेधा नामक एक ब्राह्मण गरीबी में दिन गुजार रहे थे। एक दिन ब्राह्मण के घर कौण्डिल्य ऋषि पधारे। सुमेधा की सेवा से प्रसन्न होकर ऋषि ने परमा एकादशी का व्रत करने के लिए कहा। ऋषि ने ब्राह्मण को यह भी बताया कि देवताओं के खजांची कुबेर ने भी यह व्रत रखा था। इससे प्रसन्न होकर भगवान शिव ने कुबेर को देवताओं का खजांची बनाया। परमा एकादशी धनदायक और मुक्ति प्रदान करने वाली है।
शुभ मुहूर्त
पारण का समय – 05:28 से 08:13 (11 जून 2018)
एकादशी तिथि आरंभ – 12:58 (09 जून 2018)
एकादशी तिथि समाप्त – 11:54(10 जून 2018)
पारण का समय – 05:28 से 08:13 (11 जून 2018)
एकादशी तिथि आरंभ – 12:58 (09 जून 2018)
एकादशी तिथि समाप्त – 11:54(10 जून 2018)
व्रत पूजन विधि
इस व्रत के दिन भगवान विष्णु का ध्यान करके उनके निमित्त व्रत रखना चाहिए। व्रत करने वाले को घी का दीपक जलाकर फल, फूल, तिल, चंदन एवं धूप जलाकर भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए। इस व्रत में विष्णु सहस्रनाम एवं विष्णु स्तोत्र के पाठ का बड़ा महत्व है। व्रत करने वाले को जब भी समय मिले इनका पाठ करना चाहिए।
इस व्रत के दिन भगवान विष्णु का ध्यान करके उनके निमित्त व्रत रखना चाहिए। व्रत करने वाले को घी का दीपक जलाकर फल, फूल, तिल, चंदन एवं धूप जलाकर भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए। इस व्रत में विष्णु सहस्रनाम एवं विष्णु स्तोत्र के पाठ का बड़ा महत्व है। व्रत करने वाले को जब भी समय मिले इनका पाठ करना चाहिए।
दान का महत्व
शास्त्रों में परमा एकादशी को दान के लिए भी उत्तम बताया गया है। इस दिन धर्मिक पुस्तक, अनाज, फल, मिठाई दान करने का विधान है। जो लोग किसी कारण यह व्रत नहीं कर सकते उन्हें व्रत का पुण्य प्राप्त करने के लिए इन वस्तुओं का दान करना चाहिए। दान करते समय यह ध्यान रखें कि, धार्मिक पुस्तक उसे ही दान करें जो ईश्वर एवं धार्मिक पुस्तकों के प्रति आस्था रखता हो।
शास्त्रों में परमा एकादशी को दान के लिए भी उत्तम बताया गया है। इस दिन धर्मिक पुस्तक, अनाज, फल, मिठाई दान करने का विधान है। जो लोग किसी कारण यह व्रत नहीं कर सकते उन्हें व्रत का पुण्य प्राप्त करने के लिए इन वस्तुओं का दान करना चाहिए। दान करते समय यह ध्यान रखें कि, धार्मिक पुस्तक उसे ही दान करें जो ईश्वर एवं धार्मिक पुस्तकों के प्रति आस्था रखता हो।
परम एकादशी का महत्व
वैसे तो प्रत्येक एकादशी व्रत जीवन में सुख-समृद्धि की कामना व मोक्ष प्राप्ति के लिए किया जाता है। लेकिन अधिक मास में व्रत-उपवास, दान-पुण्य करने का महत्व अधिक ही होता है। क्योंकि इस मास में पुरुषोत्तम भगवान की विशेष कृपा होती है। जो जातक अपनी लाइफ में धन के अभाव से झूझ रहे हैं। लाइफ में गरीबी के कारण परेशानियों का सामना कर रहे हैं। जो मृत्योपरांत मोक्ष की कामना रखते हैं उनके लिये परमा एकादशी का उपवास बहुत महत्वपूर्ण है।
वैसे तो प्रत्येक एकादशी व्रत जीवन में सुख-समृद्धि की कामना व मोक्ष प्राप्ति के लिए किया जाता है। लेकिन अधिक मास में व्रत-उपवास, दान-पुण्य करने का महत्व अधिक ही होता है। क्योंकि इस मास में पुरुषोत्तम भगवान की विशेष कृपा होती है। जो जातक अपनी लाइफ में धन के अभाव से झूझ रहे हैं। लाइफ में गरीबी के कारण परेशानियों का सामना कर रहे हैं। जो मृत्योपरांत मोक्ष की कामना रखते हैं उनके लिये परमा एकादशी का उपवास बहुत महत्वपूर्ण है।