अनुप्रिया पटेल व उनकी माता श्रीमती कृष्णा पटेल के बीच परिवारिक विवाद किसी से छिपा नहीं है। परिवार में इतने मतभेद हो चुके हैं कि दोनों लोगों ने अपना-अपना दल बना लिया है। अनुप्रिया पटेल के पास अपना दल (सोनेलाल) की कमान है और माता श्रीमती कृष्णा पटेल के अपने अपने गुट की जिम्मेदारी है। संसदीय चुनाव 2014 में बीजेपी ने अपना दल के साथ मिल कर यूपी का संसदीय चुनाव लड़ा था और पहली बार अनुप्रिया पटेल विधायक से सांसद बनी है। इसके बाद से परिवार में मतभेद हुआ और दोनों लोगों की राह अलग हो गयी। यूपी विधानसभा चुनाव में अपना दल व बीजेपी का गठबंधन जारी था गठबंधन के तहत अपना दल को मिली सीट पर उसके प्रत्याशी विजयी हुए। श्रीमती कृष्णा पटेल ने भी अपने प्रत्याशियों को चुनाव लड़ाया था लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिल पायी थी। संसदीय चुनाव में यदि एक बार फिर से अनुप्रिया पटेल व उनकी माता अलग-अलग चुनाव लड़ती है तो अनुप्रिया पटेल की परेशानी बढऩा तय है।
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अपना दल को मिलता है पटेल वोटरों का साथ
अपना दल को पटेल वोटरों का साथ मिलता है। मंत्री अनुप्रिया पटेल व उनकी माता श्रीमती कृष्णा पटेल दोनों गुटों में पटेल वोटर जाते हैं। इस बार सबकी निगाहे संसदीय चुनाव 2019 पर लगी है। इस बात की प्रबल संभावना है कि अपना दल व बीजेपी में गठबंधन जारी रह सकता है यदि श्रीमती कृष्णा पटेल को अपने गुट का अध्यक्ष बना दिया जाता है और यह गुट संभावित महागठबंध के साथ चला जाता है तो पटेल वोटरों में बंटवारा होने से रोकना कठिन हो जायेगा।
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अपना दल को पटेल वोटरों का साथ मिलता है। मंत्री अनुप्रिया पटेल व उनकी माता श्रीमती कृष्णा पटेल दोनों गुटों में पटेल वोटर जाते हैं। इस बार सबकी निगाहे संसदीय चुनाव 2019 पर लगी है। इस बात की प्रबल संभावना है कि अपना दल व बीजेपी में गठबंधन जारी रह सकता है यदि श्रीमती कृष्णा पटेल को अपने गुट का अध्यक्ष बना दिया जाता है और यह गुट संभावित महागठबंध के साथ चला जाता है तो पटेल वोटरों में बंटवारा होने से रोकना कठिन हो जायेगा।
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