पान दरीबा निवासी नसीम की शादी पाकिस्तान के कराची में रहने वाली शाहिदा से हुई थी। शादी के बाद नसीम का पाकिस्तान में आना-जाना लगा रहता था। नसीम की पत्नी जब अपने मायके में थी तो वहां पर दो बेटी निदा और माहेरुख पैदा हुई। बच्चियों के पैदा होने के बाद नसीम की पत्नी शाहिदा को भारत की नागरिकता वर्ष 2007 में मिल गयी थी इसके बाद वह अपने बेटियों के साथ भारत में ही रहने लगी। नसीम वर्षो तक विभिन्न कार्यालय का चक्कर लगाते थे लेकिन उनकी बेटियों को भारत की नागरिकता नहीं मिल पायी थी। नागरिकता के आभाव में निदा और माहेरुख को वोटिंग का अभी अधिकार नहीं था। सरकारी कार्यालय में जब नसीम की सुनवाई नहीं हुई तो वह रविन्द्रपुरी स्थित पीएम नरेन्द्र मोदी के जनसम्पर्क कार्यालय पहुंचे। यहां पर उनकी बात सुनी गयी और फिर बेटियों के नागरिकता का कागजात मतदान के कुछ दिन पहले आ गया। बेटियों को जब पता चला कि उन्हें हिन्दुस्तान की नागरिकता मिल गयी है। निदा और माहेरुख बेहद खुश है और उन्होंने आर्य महिला इंटर कॉलेज स्थित मतदान केन्द्र में जाकर पहली बार मतदान किया। कहा हिन्दुस्तानी होने पर हम लोगों को गर्व है।