वाराणसी

Opinion: काशी को वापस मिला उसका खोया हुआ गौरव, हर काशीवासी और शिवभक्त का साकार हुआ सपना

13 दिसंबर 2021 की तारीख भारत के इतिहास में दर्ज हो गयी है। खासकर काशीवासी और शिवभक्त तो इस तारीख को कभी नहीं भूलेंगे। दरअसल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने वादे को पूरा करते हुए 13 दिसंबर को श्रीकाशी विश्वनाथ धाम कॉरीडोर को काशी को सौंप दिया। इसके बाद हर काशीवासी और शिवभक्त का मानो वो सपना साकार हो उठा कि जिसमें वो मां गंगा में स्नान कर सीधे बाबा विश्वनाथ का दर्शन कर सकेगा।

वाराणसीDec 21, 2021 / 07:55 pm

Vivek Srivastava

Opinion: 13 दिसंबर 2021 की तारीख भारत के इतिहास में दर्ज हो गयी है। खासकर काशीवासी और शिवभक्त तो इस तारीख को कभी नहीं भूलेंगे। दरअसल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने वादे को पूरा करते हुए 13 दिसंबर को श्रीकाशी विश्वनाथ धाम कॉरीडोर को काशी को सौंप दिया। इसके बाद हर काशीवासी और शिवभक्त का मानो वो सपना साकार हो उठा कि जिसमें वो मां गंगा में स्नान कर सीधे बाबा विश्वनाथ का दर्शन कर सकेगा।
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श्रीकाशी विश्वनाथ धाम कॉरीडोर के बनने से ऐसा लगता है कि विश्व की सबसे प्राचीन जीवित शहरों में एक काशी को अपना पुराना खोया हुआ गौरव एक बार फिर मिल गया है। काशी विश्वनाथ परिसर के पुनर्निर्माण और पुनर्विकास पर जोर देना पीएम मोदी के उसी महत्वाकांक्षी योजना का हिस्सा जिसमें वो देश भर के मंदिरों को उनका खोया हुआ गौरव वापस लौटा रहे हैं। पीएम मोदी ने अयोध्या में राम मंदिर की आधारशिला रखी, सोमनाथ परिसर का सौंदर्यीकरण किया और केदारनाथ धाम, जो 2013 की बाढ़ में तकरीबन बरबाद हो गया था, उसके सौंदर्यीकरण और पुनर्विकास परियोजनाओं को आगे बढ़ाया। पीएम मोदी के मुताबिक इन मंदिरों का पुनरुद्धार और पुनर्जीवन एक प्राचीन भूमि के प्राचीन गौरव को खोजने का प्रयास है।
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वहीं उद्घाटन के बाद से विपक्ष की हताशा और निराशा भी साफ देखी जा सकती है। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने नरेन्द्र मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि “बहुत अच्छी बात है। एक महीना नहीं, दो महीना, तीन महीना वहीं रहें। वह जगह रहने वाली है। आख़िरी समय पर वहीं रहा जाता है बनारस में।” अब क्या ऐसे बयान की उम्मीद अखिलेश यादव जैसे जिम्मेदार नेता से की जा सकती है कि वो देश के प्रधानमंत्री के बारे में ऐसा बोल रहे हैं। राजनीति, विचारधाराओं की लड़ाई होती है विचारधारा अपनी जगह है मगर इस तरह के बेतुके बयान से अखिलेश की हताशा ही जाहिर हो रही है। हांलाकि अखिलेश यादव का ये बयान आत्मघाती भी हो सकता है। इसके पहले कई ऐसे उदाहरण हैं जब इस तरह के बयानों से कई पार्टियों को नुकसान उठाना पड़ा है।

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