ओमप्रकाश राजभर ने 16 अप्रैल को लोकसभा चुनाव 2019 के लिए यूपी की 80 में से 39 सीट पर प्रत्याशी उतारे थे। सुभासपा को सूची जारी करते ही पहला झटका पीएम नरेन्द्र मोदी के संसदीय क्षेत्र बनारस में लगा था। सुभासपा ने यहां पर सिद्धार्थ राजभर को प्रत्याशी बनाया था जिसकी आयु 25 साल से कम थी और चुनाव आयोग के नियमानुसार वह चुनाव नहीं लड़ सकता था। सुभासपा को अपनी गलती की जानकारी हुई तो फिर सुरेन्द्र राजभर को वाराणसी सीट से टिकट दिया गया। इसी क्रम में सुभासपा ने मिर्जापुर से दरोगा बियार को टिकट दे दिया था। जिस समय सुभासपा की सूची जारी हुई थी उस समय दरोगा नियार अपने खेत में फसल काट रहे थे। दरोगा नियार को लोगों ने बताया कि उन्हें सुभासपा से टिकट मिल गया है इस पर वह अचरज में पड़ गये। कहा कि मैंने तो टिकट के लिए आवेदन ही नहीं किया था फिर उन्हें कैसे प्रत्याशी बना दिया गया। मैं सपा नेता हूं और सपा का ही सिपाही रहुंगा। इस बाबत सुभासपा के जिलाध्यक्ष से वार्ता करके अपना नाम हटाने को कहुंगा। जमालपुर ब्लाक में रीवां गांव निवासी व जिला पंचायत सदस्य दरोगा वियार काफी समय से अखिलेश यादव की सपा के सक्रिय कार्यकर्ता हैं। तीन साल से सपा के जिला पंचायत सदस्य होने के साथ ही समाजवादी पार्टी की जिला कार्यकारिणी में भी शामिल हैं। इसके बाद भी उन्हें प्रत्याशी बना दिया गया।
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पहले पूर्वांचल में चुनाव लडऩे की कही थी बात, फिर 39 सीटों पर उतारे प्रत्याशी
यूपी चुनाव 2017 के बाद से ही सुभासपा व बीजेपी के रिश्ते तल्ख होना शुरू हो गये थे। ओमप्रकाश राजभर लगातार सीएम योगी आदित्यनाथ सरकार की कार्यशैली पर हमले करते थे। कई बार गठबंधन टूटने की स्थिति बनी तो बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह से भी ओमप्रकाश राजभर की वार्ता हुई थी। यूपी चुनाव के बाद हुए निकाय चुनाव में बीजेपी की सहयोगी दल अनुप्रिया पटेल ने अपने प्रत्याशी नहीं उतारे थे लेकिन सुभासपा ने बीजेपी का विरोध करते हुए अकेले चुनाव लड़ा था। इसके बाद लोकसभा चुनाव में सुभासपा ने बीजेपी से कम से कम दो सीटे देने को कहा था लेकिन बीजेपी तैयार नहीं हुई। बीजेपी ने अपने सिंबल से घोसी सीट से सुभासपा प्रत्याशी को चुनाव लड़ाने का आमंत्रण दिया था जिसे सुभासपा ने ठुकरा दिया था। सुभासपा ने अखिलेश यादव व मायावती के गठबंधन में शामिल होने का प्रयास किया था लेकिन वहां भी बात नहीं बन पायी। सुभासपा नेताओं के अनुसार यूपी में राहुल गांधी व प्रियंका गांधी की कांग्रेस अभी मजबूत स्थिति में नहीं है इसलिए कांग्रेस के साथ जाने की जगह अकेले चुनाव लडऩा सही है इसलिए सुभासपा ने आनन-फानन में पूर्वांचल की 25 सीटों पर चुनाव लडऩे की बात कहते हुए यूपी की 39 सीटों के लिए सूची जारी कर दी।
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यूपी चुनाव 2017 के बाद से ही सुभासपा व बीजेपी के रिश्ते तल्ख होना शुरू हो गये थे। ओमप्रकाश राजभर लगातार सीएम योगी आदित्यनाथ सरकार की कार्यशैली पर हमले करते थे। कई बार गठबंधन टूटने की स्थिति बनी तो बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह से भी ओमप्रकाश राजभर की वार्ता हुई थी। यूपी चुनाव के बाद हुए निकाय चुनाव में बीजेपी की सहयोगी दल अनुप्रिया पटेल ने अपने प्रत्याशी नहीं उतारे थे लेकिन सुभासपा ने बीजेपी का विरोध करते हुए अकेले चुनाव लड़ा था। इसके बाद लोकसभा चुनाव में सुभासपा ने बीजेपी से कम से कम दो सीटे देने को कहा था लेकिन बीजेपी तैयार नहीं हुई। बीजेपी ने अपने सिंबल से घोसी सीट से सुभासपा प्रत्याशी को चुनाव लड़ाने का आमंत्रण दिया था जिसे सुभासपा ने ठुकरा दिया था। सुभासपा ने अखिलेश यादव व मायावती के गठबंधन में शामिल होने का प्रयास किया था लेकिन वहां भी बात नहीं बन पायी। सुभासपा नेताओं के अनुसार यूपी में राहुल गांधी व प्रियंका गांधी की कांग्रेस अभी मजबूत स्थिति में नहीं है इसलिए कांग्रेस के साथ जाने की जगह अकेले चुनाव लडऩा सही है इसलिए सुभासपा ने आनन-फानन में पूर्वांचल की 25 सीटों पर चुनाव लडऩे की बात कहते हुए यूपी की 39 सीटों के लिए सूची जारी कर दी।
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