मंदिर और जिला प्रशासन मांग रहा अन्नपूर्णा मंदिर के पीछे की दुकानें इस विवाद के आरंभ होने के दिन ही बनारस के कलेक्टर कौशल राज शर्मा ने मीडिया को बयान दिया था कि, “अन्नपूर्णा मंदिर प्रशासन से मंदिर के पीछे की दुकानें सौंपने को कहा गया है और वो दुकानें विश्वनाथ मंदिर प्रशासन को सौंप दे तो सारी समस्या ही दूर हो जाए। कलेक्टर का कहना रहा कि इस संबंध में पूर्व महंत से वार्ता हो चुकी है। दुकानें मिलने के बाद ये मार्ग चौड़ा हो जाएगा। लेकिन पूर्व महंत की स्वीकारोक्ति के बाद भी अब तक दुकानें नहीं दी गईं। कहा कि महंत दुकान देने पर विचार करें तो प्रशासन उनके प्रस्ताव पर विचार कर सकता है।”
दुकानों के ऊपर है मां अन्नपूर्णा की स्वर्णमयी प्रतिमा का मंदिर अन्नपूर्णा मंदिर के महंत शंकर पुरी का कहना है कि इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तक से वार्ता हो चुकी है। मुख्यमंत्री स्थानीय अधिकारियों को निर्देश भी दे चुके हैं। बावजूद इसके अब तक समाधान नहीं निकला। महंत शंकर पुरी का कहना है प्रशासन जिन दुकानों और स्थान को मंदिर प्रशासन को सौंपने की बात कर रहा है उसके ठीक ऊपर ही मां अन्नपूर्णा की स्वर्णमयी प्रतिमा वाला मंदिर है। ऐसे में नीचे की दुकानों से छेड़छाड़ करना उचित नहीं होगा। महंत विश्वनाथ धाम और अन्नपूर्णा मंदिर के बीच छह फीट के दरवाजे की बात कर रहे हैं, जबकि प्रशासन तीन फीट का दरवाजा लगवाना चाह रहा है। इस पर महंत पुरी का तर्क है कि धनतेरस को देश ही नहीं विदेशों से भी मां के भक्त दर्शन पूजन के लिए आते हैं। श्रद्धालुओं की भारी भीड़ जमा होती है। ऐसे में तीन फीट का दरवाजा से श्रद्धालुओं को काफी दिक्कतें होंगी।
ये भी पढें- काशी विश्वनाथ धाम और मां अन्नपूर्णा मंदिर के बीच दीवार पर घमासान, माता दरबारा के महंत ने दर्ज कराई आपत्ति अब प्रधानमंत्री से उम्मीद अन्नपूर्णा मंदिर प्रशासन को भी अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से ही उम्मदी है। वो बनारस के सांसद हैं और तो और वो बार-बार ये कहते रहे हैं कि विश्वनाथ धाम के निर्माण के दौर में प्राचीनता से किसी तरह का छेड़छाड़ नहीं होगा। पुरातन को अक्षुण्ण रखते हुए ही नवीनता लाई जाएगी। ऐसे में अब संभव है कि महंत शंकर पुरी प्रधानमंत्री को खत भेज कर अपनी बात रखते हुए उनके हस्तक्षेप की मांग कर सकते हैं। ये खत सोमवार को पीएमओ भेजा जा सकता है।