वाराणसी

NGT की सख्ती के बाद खुली नीद, अब शहर में नहीं दिखेगा कूड़ा

अंडरग्राउंड कॉप्पैक्टर से नहीं फैलेगी गंदगी, स्थानीय लोगों में भी नहीं आ रही जागरूकता

वाराणसीJun 05, 2019 / 03:29 pm

Devesh Singh

Clean Mission

वाराणसी. पीएम नरेन्द्र मोदी ने अपने संसदीय क्षेत्र बनारस से ही स्वच्छता मिशन का आगाज किया था। देश भर में स्वच्छता मिशन को लेकर लोगों में जागरूकता आ रही है लेकिन बनारस की कहानी कुछ अलग ही है। अधिकारियों की लापरवाही व स्थानीय लोगों में जागरूकता के आभाव के चलते शहर को गंदगी से मुक्त नहीं किया जा सका है लेकिन अब तस्वीर बदलने की उम्मीद जागी है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने सख्ती दिखायी है तो अधिकारियों ने भी शहर को गंदगी से मुक्त करने की पहल शुरू की है इसके लिए गुजरात मॉडल अपनाने की तैयारी है।
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एनजीटी के पूर्वी यूपी के चेयरमैन जस्टिस डीपी सिंह की मेहनत अब रंग लाने लगी है। लोकसभा चुनाव से पहले जस्टिस डीपी सिंह ने सड़क पर कूड़ा नहीं दिखने व वरुणा की स्थिति को सुधारने का सख्त निर्देश दिया था। जिला प्रशासन ने लोकसभा चुनाव 2019 तक का समय मांगा था जो अब खत्म हो गया है और जल्द ही जस्टिस डीपी सिंह का बनारस में दौरा हो सकता है ऐसे में नगर निगम ने शहर को कूड़े से मुक्त करने के लिए गुजरात मॉडल पर काम करना शुरू कर दिया है। इसके लिए शहर में अंडरग्राउंड कॉम्पैक्टर लगाने की तैयारी शुरू हो गयी है। अंडरग्राउंड कॉम्पैक्टर का सबसे बड़ा फायदा यह है कि अब जमीन का उपर कूड़ा नहीं दिखेगा। इससे गंदगी फैलने का खतरा कम होगा और वाताराण भी अशुद्ध होने से बचा रहेगा।
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पहले चरण में छह स्थानों पर लगाये जायेंगे अंडरग्राउंड कॉम्पैक्टर
पहले फेज में छह स्थानों पर अंडरग्राउंड कॉम्पैक्टर लगाये जायेंगे। इसके लिए काशी विश्वनाथ मंदिर का क्षेत्र, गंगा घाट, गोदौलिया, सारनाथ व बीएचयू का चुना गया है। इन जगहों पर अंडरग्राउंड कॉम्पैक्टर लगाने में 60 लाख से अधिक का धन खर्च होगा। इसके लिए अलग से जमीन भी नहीं लेनी होगी। इसे फुटपाथ के जमीन के नीचे लगाया जा सकता है।
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जानिए क्या होता है अंडरग्राउंड कॉम्पैक्टर
गुजरात में सबसे पहले अंडरग्राउंड कॉम्पैक्टर का प्रयोग किया गया था जो सफल साबित हुआ था अब बनारस में इसका प्रयोग करने की तैयारी है। एक अंडरग्राउंड कॉम्पैक्टर की क्षमता 16 मीट्रिक टन होती है। इसमे एक बार में 16 मीट्रिक टन कचरा जमा हो सकता है। कंटेनर की सबसे खास बात होती है कि कूड़ा भर जाने के बाद यह बंद हो जाता है। इससे गंदगी व बदबू के फैलने का खतरा बहुत कम हो जाता है। बंद कंटेनर को हाइड्रोलिक मशीन से बाहर निकाला जाता है और कूड़ा भर जाने के बाद उसे फिर से उसकी जगह पर लगा दिया जाता है।
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प्रयागराज कुंभ में हो चुका है सफल प्रयोग, सेंटर बतायेगा कि भर गया कंटेनर
पीएम नरेन्द्र मोदी से लेकर सीएम योगी आदित्यनाथ की सबसे बड़ी सफलता प्रयागराज कुंभ थी। कुंभ में करोडों लोग संगम में स्नान करने आये थे इसके बाद भी वहां पर गंदगी नहीं फैली थी। इसी तर्ज पर बनारस में काम शुरू होने वाला है। कुंभ की तरह की बनारस में लगने वाले कंटेनर में खास सेंसर लगाने की तैयारी की है। कूड़ा से कंटेनर भर जाने के बाद सेंसर कमांड सेंटर को बता देगा कि जिस जगह का कंटेनर भर चुका है इसके बाद नगर निगम उस कंटेनर का खाली करा कर गंदगी वहां से हटा देगा।
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शहर में प्रतिदिन निकलता है 600 मीट्रिक टन से अधिक कचरा
शहर में प्रतिदिन 600 मीट्रिक टन से अधिक कचरा निकलता है जिसका करसड़ा में निस्तारण के लिए भेजा जाता है। यहां पर मुश्किल से 400 मीट्रिक टन कूड़ा ही पहुंच पाता है। ऐसे में उम्मीद जगी है कि अंडरग्राउंड कॉम्पैक्टर लग जाने से अधिक से अधिक कूड़ा निस्तारण के लिए भेजना संभव होगा। शहर को स्वच्छ रखने के लिए शासन अपने स्तर से सारी व्यवस्था कर रहा है लेकिन स्थानीय लोगों में जागरूकता का सख्त आभाव है जिससे शहर से गंदगी दूर नहीं हो रही है।
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