वाराणसी

यह चार बाहुबली नहीं दिखा पाये थे ताकत, मुख्तार अंसारी का ही दिखा था जलवा

दरकने लगी है राजनीतिक जमीन, आसान नहीं होगा फिर से वापसी करना

वाराणसीAug 16, 2019 / 12:58 pm

Devesh Singh

Mukhtar Ansari

वाराणसी. लोकसभा चुनाव 2019 के परिणाम ने सभी समीकरणों को ध्वस्त कर दिया था। कई नेताओं ने सुनहरे राजनीतिक भविष्य के लिए अपनी पार्टी छोड़ कर नये दल का दामन थामा था, फिर भी उन्हें सफलता नहीं मिल पायी थी। इन नेताओं की सूची में वह बाहुबली भी शामिल थे जिनको लेकर कहा जाता था कि धन व बाहुबल के सहारे कभी भी अपनी राजनीति पहचान बचाने में कामयाब हो जायेंगे। लेकिन ऐसा हो नहीं सका। पूर्वांचल की बात की जाये तो मुख्तार अंसारी को छोड़ कर अन्य दबंग नेता अपनी जमीन बचाने में विफल रहे।
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पीएम नरेन्द्र मोदी की लहर के बाद भी बाहुबली मुख्तार अंसारी ने यूपी चुनाव 2017 में मऊ सदर सीट से चुनाव जीत कर अपनी ताकत दिखायी थी। इसके बाद मुख्तार अंसारी के भाई अफजाल अंसारी को अखिलेश यादव व मायावती के गठबंधन से गाजीपुर संसदीय सीट से लोकसभा चुनाव 2019 में प्रत्याशी बनाया गया था इस सीट पर यूपी के सीएम रेस में शामिल रहे बीजेपी के कद्दावर नेता मनोज सिन्हा अपनी सीट बचाने के लिए मैदान में थे। देश में पीएम मोदी की लहर नहीं सुनामी चल रही थी इसके बाद भी बाहुबली मुख्तार अंसारी के भाई अफजाल अंसारी ने लाखों वोटों से मनोज सिन्हा को चुनाव हराया था। इससे यह साबित हुआ था कि पूर्वांचल में मुख्तार अंसारी ने जो राजनीतिक जमीन तैयार की है उस पर अन्य किसी दल का कब्जा जमाना आसान नहीं है। मुख्तार अंसारी ने भले ही राजनीति में अपनी ताकत फिर से दिखायी थी लेकिन अन्य बाहुबलियों को ऐसा मौका नहीं मिल पाया।
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यह चार बाहुबली नहीं दिखा पाये दम
पूर्वांचल के चार बाहुबली की राजनीतिक जमीन खिसकती जा रही है। कुछ ने तो चुनाव लड़ा था जबकि कुछ को चुनाव लडऩे के लिए बड़ी पार्टी से टिकट तक नहीं मिल पाया था। जौनपुर संसदीय सीट से सांसद रहे धनंजय सिंह भी इन दिनों राजनीतिक हाशिये पर आ चुके हैं। यूपी विधानसभा 2017 में धनंजय सिंह को किसी बड़ी पार्टी से टिकट नहीं मिला था तो निर्दल ही चुनावी मैदान में उतरे थे लेकिन जीत नहीं मिल पायी थी। लोकसभा चुनाव 2019 में राहुल गांधी व प्रियंका गांधी की कांग्रेस से लेकर बीजेपी, सपा व बसपा में टिकट लेने के लिए सारी ताकत लगायी थी लेकिन टिकट नहीं मिला था जिसके चलते बाहुबली धनंजय सिंह चुनाव मैदान से हट गये थे। इसी तरह बाहुबली अतीक अहमद की भी कहानी है। कभी मुलायम व शिवपाल यादव के खास माने जाने वाले अतीक अहमद फूलपुर सीट से सांसद रह चुके हैं लेकिन इस बार किसी दल से टिकट नहीं मिला था। इसके बाद अतीक अहमद ने पीएम नरेन्द्र मोदी के खिलाफ बनारस सीट से चुनाव लडऩे का ऐलान किया था और नामांकन तक भर दिया था लेकिन जेल से पैरोल नहीं मिलने के कारण अतीक ने चुनाव लडऩे से इंकार कर दिया था और वर्तमान में वह किसी भी राजनीतिक दल से नहीं जुड़े हैं। सपा से कभी हरैया के विधायक रहे बाहुबली राजकिशोर सिंह के लिए भी बड़ा राजनीतिक संकट खड़ा हो गया है। अखिलेश यादव से मनमुटाव होने के बाद राजकिशोर सिंह ने कांग्रेस के टिकट से बस्ती लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा था लेकिन हार का सामना करना पड़ा था। इसके बाद से राजकिशोर सिंह भी राजनीति में साइउ लाइन हो चुके हैं।
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